Monday, April 29, 2013

मनमोहन की चिंता


April 28, 2013

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संसद के ना चलने से चिंतित हैं। उनका कहना है दुनिया पूरा तमाशा देख रही है और हंस रही है। भई क्या बात है मनमोहन सिंह जी! आपको बड़ी चिंता है दुनिया की हँसी की? लेकिन यह निहायत ही अफ़सोसनाक बात है कि पूरा देश पिछले नौ सालों से आपकी नाकाबिलियत पर हंस रहा है फिर भी आपको कोई फ़र्क नही पड़ा। घर का जोगी जोगड़ा, बाहर का है संत?

मनमोहन जी! संसार की हँसी का आप कैसा मर्म निकाल रहे हैं, यह तो आप ही जानें परंतु सत्य कुछ और है। संसार आप पर इसलिए हंस रहा है क्योंकि आपके देश का एक निर्दोष नागरिक (सरबजीत सिंह) पिछले 22 सालों से पाकिस्तान की जेल मे सड़ रहा था और हाल ही मे उसपर प्राणघातक हमला हो गया, लेकिन आपको  नेहरू-गाँधी परिवार की तीमारदारी से फ़ुर्सत नही हैं।

विश्व के आठवें सबसे शक्तिशाली देश के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री जी, केवल कागजों मे शेर होने से कुछ नही होता, अपने घर-परिवार की रक्षा करने के लिए कलेजे की ज़रूरत होती है, जो आपके पास नही है। ऐसा दुस्साहस यदि कोई देश अमरीका के साथ करेगा तो अमरीका उसका विश्व-पटल से नक्शा ही समाप्त कर देगा।

संसार आपकी खिल्ली उड़ा रहा है क्योंकि आप देश की सुरक्षा कर पाने मे अक्षम हैं। कश्मीर का आधा से ज़्यादा हिस्सा पाकिस्तान खा गया, बचा हुआ यासीन मलिक और उसके सरीखे गद्दार खा रहे हैं, आप मौनी बाबा बनकर बैठे हैं। बरसों पहले, उत्तर-पूर्व प्रदेशों का हज़ारों किलोमीटर का क्षेत्र चीन खा गया, आपकी तत्कालीन सरकार हिन्दी-चीनी भाई-भाई का राग अलापती रह गई। अब चीन की नज़र लद्दाख पर गड़ गई है, और आप हैं कि पीठ पर छुरी भोंकने वाले चपटी नाकधारी चीनियों को कड़े तेवर दिखाने के बजाए आँख चुरा रहे हैं।

श्रीलंका जैसा लफंटूश राष्ट्र आपके देश पर दबाव बनाने मे इसलिए सफल हो जाता है क्योंकि आपको डर है कि आपकी 'ना' सुनकर वह चीन से हाथ मिला लेगा। नेपाल और बांग्लादेश जैसे अराजक राष्ट्र आपके देश मे हर वर्ष अपने हज़ारों नागरिक धकेल देते हैं और आपको मुँह चिढ़ाते हैं परंतु उनके विरुद्ध जब भी आप आवाज़ निकालते हैं, पता नही क्यों हमें म्याऊँ-म्याऊँ या में-में ही सुनाई देता है।

मनमोहन जी, अन्य राष्ट्र आपकी लाचारी का मज़ा ले रहे हैं क्योंकि जिस आध्यात्मिक भारत ने नारी को देवी का स्थान दिया वहीं आपके राज मे उसकी अस्मिता को चंद विकृत मानसिकता वाले नपुंसक दागदार कर रहे हैं। दुख तो इस बात का है कि देश की राजधानी मे महिलाएँ और बच्चे सुरक्षित नही हैं। आपका क्या है - आप तो ठाठ से चार-पाँच सौ सुरक्षाकर्मियों के बीच घिरे रहते हैं और हमारी मां, बहन, बहू और बेटियाँ पुलिस के साए मे भी स्वयं को असुरक्षित महसूस करती हैं। अरे! घर की लाज तो बचा नही सकते, देश की क्या खाक बचाओगे!!

समस्त संसार आपको देखकर इसलिए भी हंस रहा है क्योंकि आप अर्थशास्त्री होते हुए भी देश की अर्थव्यवस्था का बंटाधार कर रहे हैं। सभी राष्ट्र इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि जिस व्यक्ति के लिए आपको अपनी कुर्सी छोड़ देनी थी उसे आपने राष्ट्रपति बनवा दिया और एक बारहवीं फेल लड़के को प्रधानमंत्री पद देने मे आपको कोई गुरेज़ नही। मनमोहन सिंह जी, ज्ञान और कर्म से धनी व्यक्ति बड़े-से-बड़े पद को भी अपने ठोकरों मे रखता है, पद की लालसा मे किसी की चापलूसी नही करता। 

दरअसल आपकी चिंता इस बात की है कि अगले चुनाव मे यदि आपको आपके दल ने प्रधानमंत्री का उम्मीदवार नही बनाया तो दुनिया की यह सोच कि - आप इटली के राशन दुकान वालों के हाथों महज एक कठपुतली हैं - सही साबित हो जाएगी। लेकिन आप ऐसी नौबत क्यों आन देना चाहते हैं? समय रहते चेत जाइए। अपनी बुद्धि का प्रयोग देश के उत्थान के लिए करें, किसी परिवार को खुश करने के लिए नही, अगले कुछ महीनों मे वो करके दिखाएँ जो कांग्रेसियों ने साठ सालों मे नही किया।  शायद देश का इतिहास आपको भी अटल की तरह स्मरण करेगा।

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