Wednesday, March 30, 2016

हंसा तो मोती चुगे: राजनीति में शुचिता चापलूसों के सहारे?!


योगेश मिश्रा 

मार्च ३०२०१६ 



छत्तीसगढ़ भाजपा की कार्यकारिणी घोषित हो गई है। कुछ लोगों का कहना है कि भाजपा के आला नेताओं ने इसमें देरी कर दीहालाँकि यह समझ से परे है कि यही घोषणा यदि पहले हो जाती तो सत्ताधारी दल में ऐसा कौन सा बदलाव आ जाता जिससे प्रदेश में उसकी राजनैतिक स्थिति और मजबूत हो जाती। 

राजनैतिक दलों में कार्यकारिणी का कितना महत्त्व हैयह सभी जानते हैं। कार्यकारिणी का गठन ही संगठन को सुचारू रूप से चलाने के लिए किया जाता हैहालाँकि इसमें काम करने वाले गिने-चुने लोग होते हैंनिर्णय लेने वाले दोतीन या चार और बाकि सब केवल ठूंसे जाते हैं। 

छत्तीसगढ़ भाजपा की कार्यकारिणी में भी ठूंसे हुए चापलूस सीना तानकर ऐसे घूम रहे हैं जैसे उन्होंने कोई जंग जीत ली हो। इन चापलूसों को न राजनीति का ज्ञान है और न ही जनसेवा से सरोकार। इनमें से कुछ तो विधायक और सांसद बनने का भी स्वप्न देख रहे हैं। क्या भाजपा इन्हीं चापलूसों के दम पर राजनीति में शुचिता लाने की बात कर रही है?

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