February 22, 2014
महात्मा गाँधी के
पोते राजमोहन गाँधी ने आम आदमी पार्टी (आप) मे शामिल होते ही कहा कि वे चाहते हैं
कि लोग उन्हें राजमोहन के नाम से जानें। कमाल करते हैं राजमोहन जी आप भी! जब इतने
बरस गाँधी का लेबल लगाकर घूमने पर भी लोग
आपको जान नही पाए तो केवल राजमोहन के नाम से कैसे जानेंगे?
और आपने अपनी जिंदगी
मे ऐसा कौन सा तीर मार लिया कि लोग आपके नाम को इतनी तवज्जो देना शुरू कर दें? आपको यह जानकार बहुत दुख होगा कि यदि आप
गाँधी के पोते नही होते तो अरविंद केजरीवाल नही बल्कि आम आदमी पार्टी का कोई
कार्यकर्ता आपको सड़क किनारे काउंटर पर सदस्यता फार्म भरवा रहा होता।
आपको तो अपने दादाजी
का धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि उन्हीं की वजह से राजनीति मे आपका पदार्पण हुआ है।
वाह रे पोते, जिस दादा ने भारत को एक आम आदमी के
हैसियत से देखा उसे अब तू आम आदमी पार्टी के चश्मे से देखेगा।
किसने कहा नाम कमाने
के लिए राजनीति ज़रूरी है? कुछ
और करते। बहुत
से लोग कर ही रहे हैं। भई हद है अवसरवादिता की। चलो ठीक है, अब बुढ़ापे मे राजनीति का चस्का लगा है
तो उसके साइड अफेक्ट्स झेलने के लिए भी तैयार रहो..