विचार

Kiski Diwali - किसानों की तो बिलकुल नहीं है

योगेश मिश्रा

October 15, 2017

इक्कीसवीं सदी में भारत दुनिया का सबसे तेजी से विकसित होने वाला लोकतान्त्रिक राष्ट्र है। प्राइसवाटरहाउसकूपर्स का माननाहै कि सन 2050 तक भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अर्थतंत्र बन जाएगा। पहले पायदान पर चीन रहेगा और तीसरे पर खिसकजाएगा अमेरिका। तरक्की की ऐसी रफ़्तार के बावजूद इस देश की 54.6 प्रतिशत जनसँख्या जो कृषि अथवा कृषि-आधारितकार्यों पर निर्भर है की अपनी आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है।


Sensitive opportunists

हंसा तो मोती चुगे - संवेदनशील अवसरवादी

योगेश मिश्रा

September 07, 2017

यहाँ रोज़ कोई न कोई मर रहा है और मारा जा रहा है,लेकिन अफ़सोसअवसरवादियों की संवेदनाएं केवल कुछ लोगों के लिए ही जागती हैं। ठीक भी हैचिल्लाओ भी उसके लिए जिसकी मौत आपके करियर (Career) के बुझते दिए में घी का काम करे।

हंसा तो मोती चुगे: गधे का विज्ञापन

योगेश मिश्रा
फरवरी 262017

अखिलेश यादव


तुम भी कमाल करते हो मियां! स्वयं तो अपने बाप मुलायम सिंह यादव की साइकिल पर राहुल गाँधी को बैठाकर उत्तर प्रदेश का चुनावी पर्यटन (#election #tourism) करा रहे हो और गधे की पैरोकारी की उलाहना दे रहे हो अमिताभ बच्चन को...

छत्तीसगढ़ में एमओयू 7 लाख करोड़ का, निवेश हुआ केवल 2908 करोड़

योगेश मिश्रा
सितम्बर 19, 2016 

रायपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के सपने पर भाजपा-शासित छत्तीसगढ़ ही पानी फेरता नजर आ रहा है। प्रदेश में नई सरलीकृत उद्योग नीति लागू होने के बावजूद अपेक्षानुसार परिणाम नहीं आ रहे हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के अंतर्गत जनवरी 2010 से जुलाई 2016 तक छत्तीसगढ़ में 7 लाख 9 हज़ार 316 करोड़ रुपए के 692 समझौते (एमओयू) हुए परन्तु धरातल पर निवेश हुआ केवल 2908 करोड़ रूपए का और निवेशकों की संख्या रही उन्नीस। 

काले सोने का सफेद सच: आदिवासियों के जीवन में अंधेरा कर देश को कर रहा रोशन

योगेश मिश्रा
August 13, 2016
रायपुर
कोयला भारत की उर्जा नीति में धुरी और अर्थव्यवथा में रीढ़ है। भारत की दो तिहाई बिजली कोयले से पैदा होती है और यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक व उपभोक्ता देश है।  गैर-परंपरागत उर्जा को बढ़ावा देने के साथ-साथ नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2020 तक कोयले के वार्षिक उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।


संसदीय समिति का प्रस्ताव, आईएफएस प्रतिभागी दें यूपीएससी में अतिरिक्त पेपर

योगेश मिश्रा
August 03, 2016
रायपुर
विदेशी मामलों के लिए बनी संसदीय समिति ने आईएफएस की नई खेपों के स्तर में लगातार होती गिरावट पर चिंता ज़ाहिर करते हुए प्रस्ताव दिया है कि विदेश सेवा में करियर बनाने के इच्छुक प्रतिभागियों के लिए यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेस परीक्षाओं में एक अतिरिक्त पेपर होना चाहिए जिससे उनका अंतर्राष्ट्रीय मामलों में ज्ञान व आवश्यक योग्यता का परिक्षण हो सके। 


अब बड़बोले नौकरशाहों पर केंद्र कसेगी लगाम

योगेश मिश्रा
July 29, 2016
रायपुर
सार्वजानिक रूप से सरकार की आलोचना करने वाले बड़बोले नौकरशाहों पर केंद्र ने लगाम कसने की ठान ली है। अब यदि बाबुओं ने भावातिरेक में टेलीविज़न, सोशल मीडिया, कैरीकेचर या अन्य संचार माध्यमों में दायरे से बाहर जाकर सरकार के खिलाफ जहर उगला तो उन्हें कड़ी कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है। 

किसके लिए विकास

योगेश मिश्रा
July 21, 2016
रायपुर
बीते एक दशक में छत्तीसगढ़ ने विकास की रफ़्तार के मामले में कई प्रदेशों को पीछे छोड़ दिया, लेकिन इसका लाभ यदि यहाँ के युवाओं को नहीं मिल रहा तो फिर इसका औचित्य क्या है? प्रदेश में करीब 50 इंजीनियरिंग व सात मेडिकल कालेज हैं। इसके अलावा राष्ट्रिय स्तर के संस्थान जैसे एम्स, आईआईटी, आईआईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, लॉ यूनिवर्सिटी आदि हैं।


जनप्रतिनिधियों का वेतन मोह

योगेश मिश्रा
April 01, 2016
रायपुर
लोकतंत्र में विपक्ष कोतवाल की भूमिका में होता है। वह सरकार की हर गलती पर गिद्ध जैसी पैनी दृष्टि रखता है। इधर सत्तापक्ष चूका नहीं, उधर विपक्ष हावी हो जाता है। संसद हो या विधान सभा, सरकार को किसी भी मुद्दे पर विपक्ष की सहमती हासिल करने के लिए  अच्छी-खासी मशक्कत करनी पड़ती है। 


हंसा तो मोती चुगे: राजनीति में शुचिता चापलूसों के सहारे?!
योगेश मिश्रा  मार्च ३०, २०१६  छत्तीसगढ़ भाजपा की कार्यकारिणी घोषित हो गई है। कुछ लोगों का कहना है कि भाजपा के आला नेताओं ने इसमें देरी...

ऊँची दूकान, फीके पकवान

योगेश मिश्रा
January 29, 2016
रायपुर
पिछले १५ वर्षों में छत्तीसगढ़ ने देश में वो कर दिखाया जो बहुत से प्रदेश छह दशकों में नही कर सके। अल्प समय में ही इस प्रदेश ने कमोबेश हर क्षेत्र में राष्ट्रिय स्तर का पुरस्कार जीता। फिर क्या वजह रह गई कि सरकार ने शहरों को संवारने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई? 

कांग्रेस की बौखलाहट
योगेश मिश्रा जनवरी २५,२०१६ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस बौखलाई हुई है। अंतागढ़ टेपकाण्ड से कई चौंकाने वाले खुलासे होने के बावजूद सोनिया और..

हंसा तो मोती चुगे: असहिष्णुता की बातें
योगेश मिश्रा दिसम्बर ०८, २०१५ बात-बात में बात बढ़ गई है। कुछ लोगों ने अपना सम्मान क्या लौटा दिया, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र व एकमात्र...

हंसा तो मोती चुगे: जीत, हार और अहंकार
योगेश मिश्रा नवम्बर १६, २०१५  क्या जनता का भाजपा से मोहभंग हो गया है? डेढ़ साल में यह दल अर्श से फर्श तक पहुँच गया है। वैसे होने को तो इस...

हंसा तो मोती चुगे: साहित्यकारों का विरोध
October 14, 2015  भारत में ज्ञान विपरीत दिशा से प्रवाहित होने लगा है। कल तक जो लेखक और साहित्यकार समाज के मार्गदर्शक कहलाते थे, अब वे नेताओं के...

हंसा तो मोती चुगे: क्या मराठी सीखना कौशल उन्नयन है?
September 18, 2015  महाराष्ट्र सरकार का गैर-मराठी भाषी ऑटो रिक्शा वालों के लिए नया फरमान समझ से परे है। सरकार उन्हें मराठी सीखने...

हंसा तो मोती चुगे: बिहार मे विकास से ज़्यादा नीतीश को तरजीह ...
Raipur, July 27, 2015 नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने दिल्ली चुनाव मे विकास के बजाए अरविंद केजरीवाल की बातें की और परिणाम भाजपा के विपरीत गया। 

स्पीडब्रेकर
July 20, 2014 रायपुर शहर के एक हिस्से की सड़कों पर बने स्पीडब्रेकरों को तोड़ा जा रहा है। कारण राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आगमन। सरकार कहती है...

प्रियंका की कसमसाहट
Yogesh Mishra April 28, 2014 प्रियंका गाँधी (वाड्रा) की नाराज़गी आजकल चर्चा-ए-आम है। नाराज़गी जायज़ है। आख़िर दाँव पर पति राबर्ट वाड्रा की खोखली...

Yogesh Mishra April 24, 2014 आज़म ख़ान जैसे लोग जब भारतीय सेना को धर्म के नाम पर बाँटने की कोशिश करते हैं तब समझ मे आता है कि नेता...

February 22, 2014 महात्मा गाँधी के पोते राजमोहन गाँधी ने आम आदमी पार्टी (आप) मे शामिल होते ही कहा कि वे चाहते हैं कि लोग उन्हें राजमोहन के नाम...

Yogesh Mishra  Raipur November 21, 2013  अप्रिय तरुण तेजपाल तुम तहलका के प्रमुख संपादक हो। सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी तुमने पहले अपनी...



May 2, 2013 

अब समय आ गया है पाकिस्तान पर हमला करने का। सरबजीत सिंह की हत्या का ज़िम्मेदार भारत सरकार भी है जिसने 22 सालों तक पाकिस्तान से कुछ...


April 28, 2013 

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संसद के ना चलने से चिंतित हैं। उनका कहना है दुनिया पूरा तमाशा देख रही है और हंस रही है। भई क्या बात है...


बलात्कारी को मौत से पहले यातना दो 
April 23, 2013 

पूरा देश एक स्वर मे माँग कर रहा है कि मासूम बच्ची का यौन शोषण करने वाले बलात्कारियों को फाँसी दे देना चाहिए। माँग जायज़ है। परंतु...

धन का रोग परमात्मा से बड़ा

Oct 24, 2012

(प्रिय मित्रों, मेरा यह लेख आधुनिक युग के बकवाद की श्रेणी का गरिष्ठ प्रस्तुतिकरण है, उम्मीद है आप सब इस वार्तालाप मे उलझ कर रह जाएँगे... ..योगेश मिश्रा)रमेश जी खानदानी भ्रष्टाचारी हैं। उनकी घ्राण...


विकास ज़रूरी है, जनता जाए भाड़ मे

Sep 26, 2012
(यह व्यंग्य मैने विश्व के सबसे काबिल अर्थशास्त्री और भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर लिखा है, उम्मीद है वे मेरी बातों का अवश्य बुरा मानेंगे..)प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अचानक विकास शब्द से लगाव...

नेता सब खाते हैं, कोयला नया पकवान है

Sep 02, 2012
नेताओं के भोजन मे कोयला नया पकवान है। इसका स्वाद मीठा है या नमकीन यह तो इसे खाने वाले नेता ही बता सकते हैं,  लेकिन इतना कयास अवश्य लगाया जा सकता है कि यह पकवान अत्यंत ही पौष्टिक होगा। कैग...


नारी का अपमान

Sep 02, 2012
कुछ दिनों पूर्व असम मे एक लड़की को तीस-चालीस लड़कों ने बेरहमी से पीटा। कुछ उसे पीट रहे थे और कुछ उसके वस्त्र फाड़ रहे थे। लड़की चीखती-चिल्लाती रही, मदद की गुहार लगाती रही, परंतु इस क्रूर तमाशे को...


आम आदमी का मज़ाक

Sep 02, 2012
चिदंबरम जी,आप कहते हैं आम आदमी बोतलबंद पानी और आइसक्रीम खरीदने से नही हिचकता किंतु अनाज के दाम एक रुपये बढ़ने पर हाहाकार मचाता है। क्या आपका आशय यह है कि आम आदमी आइसक्रीम खाकर पेट भरता है और बोतलबंद...


महँगाई मार गई..

Sep 02, 2012
जनता फिर रो रही है। कारण - पेट्रोल के बढ़े हुए दाम। दरअसल जब-जब पेट्रोल के दाम बढ़ते हैं, जनता रोने लगती है। कुछ समय के बाद उसके आँसू सूख जाते हैं। आख़िर कब तक रोएगी। मन-मारकर फिर मर-मर के जीने के...


काँपते सभी हैं, सर्दी हो ना हो

Sep 02, 2012
सर्दियों का मौसम रूमानियत का एहसास तभी दिलाता है जब तन पर लिपटे हुए कपड़ों से टकराकर हवा बौरा जाए. परंतु ऐसे कपड़े सभी के पास होते कहाँ हैं? इसलिए अभावग्रस्त लोग काँपते हैं.उत्तर भारत शीत लहर की चपेट...


क्या क्रिकेट अन्य खेलो के अस्तित्व को ख़त्म कर देगा

Sep 02, 2012
  भारत मे खेल उच्च वर्ग का शौक है तथा मध्य व निम्न वर्गों के लिए प्रतिभा प्रदर्शन का माध्यम. लेकिन यहाँ क्रिकेट के अलावा देश के लिए अन्य खेल खेलने का अर्थ है खोखली प्रतिष्ठा पाना और...

पी एम अंकल, क्या मेरे पापा पेट्रोल वाली गाड़ी नही चला सकते?

Sep 02, 2012
आदरणीय प्रधानमंत्री जी! मैं छह साल का छोटा सा बच्चा हूँ. आशा करता हूँ कि यदि मैं आपको पी एम अंकल कहकर संबोधित करूँगा तो आपको अजीब बिलकुल नही लगेगा. चाचा नही पुकारूँगा. क्योंकि बहुत पहले बच्चों ने एक...


किसकी बढ़ी आबादी और कौन हुआ बर्बाद

Sep 02, 2012
चलिए मानव आबादी ने सात अरब का आँकड़ा भी छू लिया. परंतु भारत जैसे  देश मे आबादी का बढ़ना कोई चमत्कार तो है नही. जिस देश मे जन्म-मृत्यु, आत्मा-परमात्मा जैसे विषयों पर लोग गली-मोहल्ले-चौक-चौबारों...

माँ, मैं नेता बन गया, कल मंत्री बनूंगा और परसों भगवान..

Sep 02, 2012
माँ मैं फिर पास हो गया. पूरे यूनिवर्सिटी में अव्वल आया हूँ - पीछे से. तुम्हें तो पता ही है कि नेताओं वाले गुण मुझमें शुरू से रहे हैं. मैने हमेशा से ही मुश्किल हालातों मे लोगों को आगे किया है और...
























बेचारा पत्रकार

Sep 02, 2012
(मैने इस लेख मे दैनिक बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है जिससे इसकी जीवंतता का एहसास हो सके. मैने कई मसलों पर कटाक्ष भी किया है परंतु यह किसी व्यक्ति विशेष पर कतई नही है. फिर भी यदि किसी प्रबुद्धजन को...


नक्सलवाद मे राजनीतिक आयाम

Sep 02, 2012
देश मे बढ़ते नक्सली आतंक को न तो राज्य सरकारें रोकने मे सफल हो पा रहीं हैं न ही केंद्र कुछ कर सकने की स्थिति मे दिखाई देती है. उपाय कोई नही कर रहा है, राजनीति सभी करना चाहते है. आरोप प्रत्यारोप के...


ग़रीब की न सरकार सुनती है, न भगवान

Sep 02, 2012
ग़रीब आदमी वाकई ग़रीब होता है. उसे अपने आसपास होने वाले घटनाक्रमों के बारे मे बहुत कुछ पता होता है परंतु अंजान बने रहने मे ही वह अपनी समझदारी मानता है. सरकार भी ग़रीबों से यह अपेक्षा करती है कि वे...

क्या स्वामी रामदेव अपने उद्देश्य से भटक रहे हैं?

Sep 02, 2012
स्वामी रामदेव ने जब भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध सत्याग्रह का ऐलान किया था तब देश-विदेश से हज़ारों लोगों ने उनका समर्थन किया था. इसका परिणाम यह हुआ की जब वे अनशन पर दिल्ली के रामलीला मैदान पर बैठे तब उनके...

जातिगत जनगणना: कितनी व्यावहारिक कितनी परिकल्पित

Sep 02, 2012
जातीय जनगणना का राजनैतिक कारण तो विदित है परंतु इसका दूसरा पहलू है सामाजिक विकास.इसे केंद्र सरकार कितनी गंभीरता से लेगी यह तो कोई नही जानता परंतु हम सब आम जन इससे लाभान्वित हो सकते...

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