माँ मैं फिर पास हो गया.
पूरे यूनिवर्सिटी में अव्वल आया हूँ - पीछे से. तुम्हें
तो पता ही है कि नेताओं वाले गुण मुझमें शुरू से रहे हैं. मैने हमेशा से ही
मुश्किल हालातों मे लोगों को आगे किया है और अनुकूल परिणामों पर अपनी मेहनत की
मुहर लगाने मे तत्परता दिखाई है. यह सिलसिला काफ़ी लंबे समय तक चला और कब मैं बड़ा
हो गया पता ही नही चला. देखो ना, अभी कुछ दिनों पहले ही तो स्कूल के हाफ़ पैंट
से छुटकारा मिला था और अब कालेज की आज़ादी भी छिन गई. ज़िम्मेदारी का अहसास होने
लगा है. मैने निश्चय किया है कि अब खाली नही
बैठूँगा , कुछ काम करके रहूँगा. इसलिए मैने नेतागिरी
करने की ठान ली है.
दरअसल मां, मेरी किस्मत मे
नेता बनना ही लिखा था. मैं कुछ और कर भी नही पाता. इधर-उधर दर-दर की ठोकरें खाने से तो अच्छा है कि खुद लोगों को अपनी
ठोकरों मे रखो. फिर मैने यह भी सोचा कि
परिवार पर बोझ बनने से अच्छा देश पर ही बोझ बन जाता हूँ. परिवार पर बोझ बनने से घर
की आर्थिक स्थिति और चरमरा जाती परंतु देश, अरे माँ देश की कौन फ़िक्र करता है जो मैं करूँ.
माँ, नेतागिरी मे नाम
है, पैसा है. हाँ, इज़्ज़त भले नही
है. पर जब मैने कभी किसी का आदर किया नही तो दूसरों से ऐसी उम्मीद क्यों करूँ? अरे, कभी कोई नेता
इज़्ज़तदार होता है क्या? हाँ, वज़नदार ज़रूर
होता है. अब मनमोहन सिंह को ही देख लो. पहले वे इज़्ज़तदार आर्थिक विशेषज्ञ थे और
अब वज़नदार प्रधानमंत्री. फिर मैं क्या
किसी से कम हूँ.
यही तो मज़ा है इस नेतागिरी
के खेल मे. लोग समझते ही नही. बस भ्रष्टाचार मिटाने को बात करते हैं. विदेशों मे
रखे काले धन को वापस लाने की बात करते हैं. कहते हैं, भारत कभी सोने की
चिड़िया थी. अरे, थी से क्या मतलब, है.
ये वो देश है जहाँ कई
मंदिरों मे करोड़ों के चढ़ावे चढ़ते हैं, कुछ मे खुदाई
करने से अरबों के ख़ज़ाने मिले. यहाँ रोज़ जो काले धन कमा रहे हैं उन्हें नज़रअंदाज
कर दिया जाता है. क्या मंत्री, क्या अफ़सर, क्या व्यापारी और
क्या चपरासी. भरे पड़े हैं लोगों के घरों मे पैसे. अब देखो ना, खेल-खेल मे सुरेश
कलमाड़ी ने करोड़ों बना लिए और ए राजा ने हज़ारों करोड़.
अगर हम पूरे देश के
नेताओं की गाढ़ी कमाई जोड़ेंगे तो पता चलेगा कि इतने मे तो भारत हीरे की चिड़िया
बन सकती है. फिर बाकियों के काले धन की बारी आएगी. कुल मिलाकर, भारत प्लॅटिनम की
चिड़िया बनने का माद्दा रखती है. और लोग हैं कि सोने पर अटके पड़े हैं.
तुम्हें पता है, एक अन्ना नाम का
आदमी आजकल लोकपाल लोकपाल चिल्ला रहा है. बेचारा. देश सुधारना चाहता है. यह जानते
हुए भी कि ऐसी सुधार की कामना करने वाले अंततः स्वर्ग सिधार जाते हैं और छोड़ जाते
हैं नेताओं के चेहरे पर एक कुटिल विजयी मुस्कान. परंतु ये साहब हैं कि पिले पड़े
हैं नेताओं को सुधारवाद का टानिक पिलाने के लिए. माँ, नेता पीते नही, गटक जाते हैं और
डकार भी नही मारते. लालू से पूछो उसने चारा कैसे पचाया? वो हँसेगा और
कहेगा मॅनेज्मेंट गुरु बनने के लिए पाचन शक्ति बढ़ानी पड़ी. आख़िर नेतागिरी क्या
है - सब चीज़ों को अच्छी तरह से मॅनेज करने की कला. और इसमे तो मैं शुरू से माहिर
हूँ माँ.
दरअसल, नेता कभी हारता
नही. उसकी तो हार मे भी जीत है. नेता सरकार मे हो या विपक्ष मे, उसकी जेबें हमेशा
भरी रहती हैं.
चेले-चपाटी हमेशा चिपके रहते हैं. अरे, इसलिए तो लोग
नेता को राजनेता करते हैं. मैने, बहुत सोच-समझकर इस क्षेत्र मे पाँव रखे हैं माँ, तुम बस देखती
जाओ.
तुम्हें पता है, नेता कभी मजबूर
नही होता, डरता नही और शर्म उसके पास फटकना तो दूर बल्कि खुद शर्मा
जाती है. तुम्हें याद है ना हमने कैसी जिंदगी देखी है. मैने पिताजी को हमेशा मजबूर
और डरे हुए ही देखा है माँ. घर के बाहर कदम रखते ही डर उनके मन मे घर कर जाती थी.
चेहरे पर चिंता की लकीरें, सदैव जुड़े हुए हाथ और पैरों पर टूटे हुए चप्पलों
ने उनके जीवन को एक आर्ट फिल्म की स्टोरी मे तब्दील कर दिया था. दीदी भी हमेशा डरी
डरी रही हैं. घर मे पिताजी का डर और बाहर दुनिया का. शादी के बाद भी उनका डर ख़त्म
नही हुआ बल्कि अब वे अपने पति और बच्चों से डरती हैं.
और तुमने भी क्या कम
परेशानियाँ झेली हैं माँ? हमारे कपड़ों का
शौक तुम्हारे द्वारा सिले हुए वस्त्रों से ही पूरा होता था. तुम्हारे पास साड़ीयों
का कलेक्शन कभी दो से अधिक नही हुआ. तुमने कई दिन केवल पानी पीकर ही संतोष कर लिया
ताकि हमारा पेट भर सके. बस बहुत हो चुका मर मर के जीना. अब ये जिंदगी उधार मे नही नगद मे चलेगी माँ.
तुम बस देखती जाओ मैं
कैसे सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता जाता हूँ. बहुत जल्द मैं
मंत्री बन जाऊँगा. फिर मेरी
प्रजाति से उपर इस विश्व मे केवल भगवान ही बचेंगे. अगर मैने आगे बढ़ने की रफ़्तार
धीमी नही की तो कोई आश्चर्य नही कि मैं भगवान भी बन सकता हूँ. फिर तुम्हें पूजा
करने के लिए किसी मंदिर की ज़रूरत नही पड़ेगी माँ, मैं जो रहूँगा - जीता-जागता
भगवान!!!
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