Monday, September 19, 2016

छत्तीसगढ़ में एमओयू 7 लाख करोड़ का, निवेश हुआ केवल 2908 करोड़


योगेश मिश्रा
सितम्बर 19, 2016 

रायपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के सपने पर भाजपा-शासित छत्तीसगढ़ ही पानी फेरता नजर आ रहा है। प्रदेश में नई सरलीकृत उद्योग नीति लागू होने के बावजूद अपेक्षानुसार परिणाम नहीं आ रहे हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के अंतर्गत जनवरी 2010 से जुलाई 2016 तक छत्तीसगढ़ में 7 लाख 9 हज़ार 316 करोड़ रुपए के 692 समझौते (एमओयू) हुए परन्तु धरातल पर निवेश हुआ केवल 2908 करोड़ रूपए का और निवेशकों की संख्या रही उन्नीस। 

देश में पिछले साढ़े छह सालों में प्रस्तावित निवेश के मामले शीर्ष पांच राज्यों में छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर रहा। इस अवधि में सर्वाधिक निवेश आकर्षित किया ओडिशा ने और तीसरे, चौथे तथा पांचवे पायदानों पर गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश काबिज रहे। हालाँकि इन पांचो राज्यों में सबसे कम निवेश छत्तीसगढ़ में हुआ 

वर्ष 2014 मे प्रस्तावित निवेश के मामले मे छत्तीसगढ़ देश मे अव्वल रहा। जाहिराना तौर पर निवेशकों ने इस नए राज्य को गुजरात और महाराष्ट्र जैसे आर्थिक रूप से मजबूत राज्यों की अपेक्षा ज्यादा तरजीह दी। छत्तीसगढ़ में 37 समझौते हुए और निवेश प्रस्तावित हुआ 1 लाख 62 हज़ार 584 करोड़ रुपए का जो देश भर के कुल प्रस्तावित निवेश का 40.14 प्रतिशत था। कहा गया कि इन समझौतों से प्रदेश में 26,856 लोगों के लिए रोजगार के अवसर बनेंगे लेकिन उस वर्ष न तो कोई उद्योग लगा और न ही निवेश हुआ। 

वर्ष 2015 में 117 समझौते हुए और 36,511 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित हुआ परन्तु उस अवधि में केवल पांच उद्योगों ने 2037 करोड़ का निवेश किया। इस वर्ष (2016) प्रदेश में जनवरी से जुलाई तक 33 समझौतों के तहत 8654 करोड़ रुपए प्रस्तावित निवेश के मुकाबले सिर्फ तीन उद्योगों ने 91 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।  



छत्तीसगढ़ में निवेश की स्थिति - जनवरी 2010 से जुलाई 2016 तक 
वर्षसमझौतेप्रस्तावित निवेश (करोड़ में)समझौते धरातल मेंनिवेश हुआ (करोड़ में)
201025628558310749
201111410226600
2012787957500
20135734143131
20143716258400
20151173651152037
2016338654391

692423733192908


प्रदेश में तीसरी बार सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह ने उद्योग क्षेत्र का विकास गैर कोर सेक्टर में करने का फैसला किया। दरअसल वर्ष 2013 के पहले कोर सेक्टर (स्टील, उर्जा और सीमेंट) में अंधाधुंध निवेश हुआ जिसकी वजह से न केवल प्रदेश के पर्यावरण को क्षति पहुंची बल्कि प्रदुषण की मात्र भी आसमान छूने लगी
उम्मीद थी कि प्रदेश की नयी उद्योग नीति के अंतर्गत गैर कोर सेक्टर में हुए विशाल निवेश को धरातल में लाने में कारगर साबित होंगी परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। नयी नीति के तहत एकल खिड़की प्रणाली भी काम न आई बावजूद इसके कि छत्तीसगढ़ को विश्व बैंक ईस ऑफ़ डूइंग बिज़नस (व्यवसाय के सरलीकरण) के मामले में देश का चौथा सबसे बेहतर प्रदेश मानता है।

नीतियां बदली, नीयत नहीं

भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग वर्ग के तहत निवेश प्रस्तावित करने का सिलसिला अक्टूबर 2006 से प्रारंभ हुआ। इस वर्ग में विनिर्माण क्षेत्र में प्लांट और मशीनरी पर निवेश 10 करोड़ रुपए से अधिक और सेवा क्षेत्र में  निवेश 10 करोड़ रुपए से ज्यादा होना चाहिए। 

इस वर्ग में नए उद्योगों की स्थापना और विस्तार के लिए जनवरी 2010 से जुलाई 2016 तक देश भर में 98,388 समझौतों के तहत कुल मिलाकर 1 करोड़ 10 लाख 83 हज़ार 320 रुपए का निवेश प्रस्तावित हुआ। उम्मीद की गई कि इस भारी-भरकम निवेश से 2 करोड़ 37 लाख 6 हज़ार 663 लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा, लेकिन इस दौरान केवल दस फीसदी उद्योग ही उत्पादन प्रारंभ कर पाए जिसकी वजह से अन्य सभी लक्ष्य धरे-के-धरे रह गए।

औद्योगीकरण की धीमी गति भाजपा की एनडीए सरकार के लिए वास्तव मे शुभ संकेत नहीं है। वर्तमान में पूरा विश्व आर्थिक मंदी की चपेट में है, परन्तु यह सरकार लगातार यह स्पष्टीकरण देती रही है कि देश की अर्थव्यवस्था पर इसका लेशमात्र भी प्रभाव नहीं पड़ा है। निवेश मे तेजी लाने के लिए मोदी सरकार ने कुछ सुधारवादी कदम भी उठाए और सभी राज्यों को ईस ऑफ़ डूइंग बिज़नस (व्यवसाय के सरलीकरण) के मामले में विश्व बैंक द्वारा निर्धारित मापदंडों को लागू करने के लिए कहा।

परिणाम सकारात्मक रहा। विश्व बैंक की ईस ऑफ़ डूइंग बिज़नस की सूची में भारत ने श्रेणी सुधार करते हुए 12 पायदानों की छलांग लगाई और 142 से 130 स्थान पर आ गया। राज्यों की रैंकिंग मे भी सुधार हुआ और झारखण्ड व छत्तीसगढ़ जैसे नए राज्य तीसरे और चौथे स्थान पर पहुँच गए। पहला और दूसरा स्थान गुजरात और आन्ध्र प्रदेश का रहा जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान पांचवे और छटवें क्रम में रहे।

हालाँकि इतने कसरत के बाद भी निवेशकों को राज्यों मे उद्योग लगाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। यहाँ तक कि लाल-फीताशाही से मुक्त करने के लिए प्रारंभ की गई सिंगल विंडो सिस्टम (एकल खिड़की प्रणाली) भी काम न आई और निवेशक अब भी अनेक प्रकार के क्लीयरेंस के लिए भटक रहे हैं। दरअसल, राज्यों में नीतियां तो बदली हैं, परन्तु अफसरों की नीयत नहीं


भारत में निवेश की स्थिति - शीर्ष 5 राज्य – जनवरी 2010 से जुलाई 2016 तक 
क्रमांकराज्यसमझौतेप्रस्तावित निवेश (करोड़ में)समझौते धरातल मेंनिवेश हुआ (करोड़ में)
1ओडिशा463856179219828
2छत्तीसगढ़692709316192908
3गुजरात2752649332562122712
4महाराष्ट्र3568526053545106734
5मध्य प्रदेश9034386451237262

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