Yogesh Mishra
Raipur November 21, 2013
अप्रिय तरुण तेजपाल
तुम तहलका के प्रमुख
संपादक हो। सर्वोच्च पद पर रहते हुए भी तुमने पहले अपनी कनिष्ठ महिला पत्रकार का
यौन उत्पीड़न किया और अब बिना सज़ा भोगे माफी माँग रहे हो। क्यों? क्या यही हरकत कोई अंजान व्यक्ति तुम्हारी
माँ, बहन, बहू अथवा बेटी के साथ करता तो तुम उसे
माफ़ कर देते? कभी
नही। तुम तो तहलका मचा देते। तुम न्याय की बात करते, क़ानून की बात करते, अदालत की बात करते और समाज के गिरते हुए
स्तर की बात करते। लेकिन जब बात तुमपर बन आई है तो किसी तरह से इस मामले को
रफ़ा-दफ़ा करना चाहते हो।
यह दोगलापन क्यों? तुम्हें इतना ही प्रायश्चित करने का शौक
था तो पुलिस थाने जाते और अपना अपराध स्वीकार करते, न्यायालय मे कड़ी से कड़ी सज़ा माँगते
ताकि समाज मे छिपे तुम्हारे जैसे सफ़ेदपोश चरित्रहीन लोग ऐसी हरकत करने की जुर्रत
ना करते। परंतु तुमने तो बिल्कुल ही आसान रास्ता अख्तियार कर लिया - यौन शोषण करो, माफी माँगो और फिर यौन शोषण करो, माफी पुनः मिल जाएगी। इस
तरह तो तुमने चरित्रहीनों के लिए नया मार्ग खोल दिया, नयी परिपाटी की शुरुआत कर दी।
वाह रे ईमानदार खोजी
पत्रकार, तुम्हारी चरित्रहीनता ने फिर यह सिद्ध
कर दिया कि बड़ी बड़ी संस्थाओं मे उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति अपनी वासनापूर्ति के
लिए कैसे प्रलोभन देकर महिलाकर्मियों का शोषण करते हैं। तुम जैसे वहशी दरिंदों की
वजह से ही छोटे शहरों मे रहने वाले लोग अपनी लड़कियों को बड़े शहरों मे नौकरी करने
नही देते।
इसलिए तुम्हारी सज़ा
तो बनती है। क़ानून की नज़रों मे तुम अपराधी हो और जनता की आँखों मे विश्वासघाती
क्योंकि तुमने स्वयं को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का प्रतिनिधि बताकर समाज को दूषित
किया है। तुम कठोर से कठोर सज़ा के हकदार हो।
मेरा सुझाव है कि
तुम्हे पहले पीड़ित लड़की के परिवार वालों से पिटवाया जाए फिर जनता पिटाई करे और
अंत मे पुलिस तुम्हारी मर्दानगी को अंतिम विदाई दे। इसके बाद भी सज़ा की गुंजाइश
बचती है क्योंकि तुम एक पढ़े-लिखे ज़िम्मेदार व्यक्ति हो।
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