रायपुर।
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले मे शुक्रवार को पुलिस बल और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेंड मे दो दर्जन से अधिक नक्सलियों के मारे जाने, एक असिस्टेंट कमांडेंट सहित छह जवानों के शहीद होने और पाँच पुलिसकर्मियों के लापता होने की खबर है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने लापता जवानों की खोजबीन के लिए करीब 150 से अधिक जवानों को दंतेवाड़ा के घने जंगलों मे भेजा है तथा उनकी मदद के लिए वायुसेना का एक हेलिकॉप्टर भी वहां पहुँच गया है। इसी दौरान जवानों ने 10 नक्सलियों की लाशें बरामद की हैं और भारी मात्रा मे आधुनिक हथियार तथा अन्य सामान बरामद किया है।
पिछले दो दिनों से प्रदेश मे कोबरा कमांडो, सीआरपीएफ तथा कोया कमांडो के सुरक्षा बलों ने संयुक्त रूप से दंतेवाड़ा जिले के धुर नक्सल इलाक़ों किस्टाराम और चिंतगुफा मे ऑपरेशन ग्रीन हंट अभियान के तहत नक्सलियों को भारी क्षति पहुँचाई है। इस ऑपरेशन मे न केवल सुरक्षा बलों ने नक्सलियों की एक अवैध हथियार फैक्ट्री को ध्वस्त कर दिया बल्कि किस्टाराम के निकट पालाचलमा के बीहड़ जंगलों मे स्थित एक गुप्त नक्सल कैंप को भी पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। किस्टाराम और चिंतगुफा आंध्र प्रदेश की सीमा से सटे हुए हैं, यह माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के सुरक्षा बलों को इन क्षेत्रों मे नक्सलियों के ख़ुफ़िया अड्डों के होने की जानकारी आंध्र प्रदेश पुलिस से प्राप्त हुई है।
खबरों के अनुसार गुरुवार को सिंगनमडगू मे नक्सलियों के अवैध हथियार फैक्ट्री पर कब्जा करने के बाद पुलिस के संयुक्त बल ने रात भर वहीं रुकने का फ़ैसला किया। परंतु जब शुक्रवार को पुलिसकर्मी वापस लौट रहे थे तब कोबरा बटालियन के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर जबरदस्त आक्रमण कर दिया। कोबरा बटालियन ने तुरंत सेटेलाइट फोने और वायरलेस सेट से मदद की माँग की और कुछ ही समय मे सैकड़ों जवान मुठभेड़ स्थल की ओर कूच कर गए। इस ऑपरेशन मे दो हेलिकॉप्टरों का भी इस्तेमाल किया गया। परंतु इस अभियान मे कोबरा बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट एम मनोरंजन सिंह सहित छह पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए।
उल्लेखनीय है कि पिछले दो दशकों मे छत्तीसगढ़ में नक्सली वारदातों मे हज़ारों की संख्या मे निर्दोष लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है परंतु ना तो राज्य सरकार और ना ही केंद्र सरकार नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने मे सफल हो पाई है। देश के बहुत से राज्यों मे बढ़ते हुए नक्सलवाद को ध्यान मे रखते हुए अभी कुछ ही समय पहले केंद्र सरकार ने नक्सलियों को आतंकवादियों की श्रेणी मे शामिल कर दिया था और राज्य सरकारों को इनसे निपटने के लिए संयुक उपाय करने के लिए कहा था। प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने भी नक्सलवादियों के तेज़ी से फैलते नेटवर्क को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकारों के नक्सल विरोधी अभियान अपेक्षित परिणाम लाने मे असफल रहे हैं और कई राज्यों मे नक्सली वारदातों मे इज़ाफा हुआ है।
अभी हाल ही मे नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस महानिदेशकों ने एक महत्वपूर्ण बैठक की जिसमे यह फ़ैसला लिया गया कि आने वाले समय मे वे संयुक्त रूप से नक्सलियों के विरुद्ध चौतरफ़ा अभियान चलाएंगे ताकि परिणाम बेह्तर आ सकें। खबरों के अनुसार नवंबर मे नक्सलियों के खिलाफ पहला संयुक्त अभियान छेड़ा जा सकता है।
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