रायपुर।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने राज्य के सभी सांसदों से अपील की है कि वे दलगत राजनीति को दरकिनार कर संसद के दोनों सदनों मे छत्तीसगढ़ के हितों से जुड़े मुद्दों को एक स्वर मे उठाएं जिससे केंद्र का ध्यान प्रदेश की आवश्यकताओं की तरफ उन्मुख हो सके। इस विषय मे रमन ने प्रदेश के लोक सभा और राज्य सभा सदस्यों के साथ दिल्ली मे एक बैठक आयोजित की जिसमे सभी सांसदों ने मुख्यमंत्री को विश्वास दिलाया कि वे संसद मे राज्य के समग्र विकास से संबंधित तथा यहां के आदिवासियों, ग़रीबों और पिछड़ों के उत्थान से जुड़े हुए मसलों को उठाते वक्त एक-दूसरे के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाएंगे।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राजनीति के उस आदर्श पहलू को छूने का प्रयास किया है जिसके तहत किसी क्षेत्र, प्रांत अथवा देश के कल्याण के लिए अलग-अलग विचारधारा होने के बावजूद सभी दल एक साथ प्रयत्न करते हैं। रमन चाहते हैं कि प्रदेश के सांसद, फिर चाहे वे भाजपा के हों अथवा कॉंग्रेस के, संसद के दोनों सदनों मे छत्तीसगढ़ की आवाज़ को मिलकर बुलंद करें। वे यह भी भलीभांति जानते हैं कि केंद्र सरकार मे छत्तीसगढ़ का एक भी प्रतिनिधि मंत्री पद हासिल नहीं कर पाया है जिसकी वजह से समय-समय पर केंद्र के समक्ष प्रदेश की बात रखने वाला कोई नही है।
कुछ समय पहले तक तो यह कयास लगाया जा रहा था कि प्रदेश से कॉंग्रेस के एकमात्र विजयी सांसद चरणदास महंत को इस बार केंद्र के संप्रग सरकार के कैबिनेट मे स्थान अवश्य मिलेगा परंतु उनको कॉंग्रेस के संभावित मंत्रियों की सूची मे भी नही रखा गया। दरअसल केंद्र मे छत्तीसगढ़ के नेताओं को एक अर्से से प्रतिनिधित्व नही मिला है। केंद्र मे संप्रग सरकार का यह लगातार दूसरा कार्यकाल है परंतु न तो इस बार और न ही पिछले कार्यकाल मे प्रदेश के किसी नेता को मंत्री बनने का मौका मिल पाया। पांच साल पहले केंद्र मे भाजपा सांसद रमेश बैस ने प्रदेश का आखरी बार प्रतिनिधित्व किया था जब देश मे अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व मे राजग की सरकार थी, परंतु रमेश बैस भी प्रदेश के लिए कुछ भी करने मे असफल रहे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले पांच सालों से प्रदेश मे भाजपा की सरकार है और केंद्र मे कॉंग्रेस के नेतृत्व मे संप्रग की सरकार है और दोनो ही सरकारों को जनता ने इस आम चुनाव मे दोबारा मौका दिया है। रमन सिंह जानते हैं कि ऐसी स्थिति मे सूझबूझ के साथ काम लेना ही समझदारी है और इसीलिए उन्होंने प्रदेश के सभी सांसदों से आव्हान किया है कि वे राज्य सभा व लोक सभा मे छत्तीसगढ़ के हित से जुड़े हुए मामलों को परस्पर सहयोग के साथ उठाएं और केंद्र सरकार को उन्हें लोक सभा में मानने के लिए मजबूर करें।
छत्तीसगढ़ राज्य के एक सीईओ की तरह काम कर रहे मुख्यमंत्री ने बैठक मे कहा कि संसद के दोनों सदनों के सत्र के दौरान सांसदों को राज्य से जुड़े मुद्दों पर नियमित रूप से जानकारी प्रदान की जाएगी। इसके लिए प्रदेश की राजधानी रायपुर मे मुख्यमंत्री सचिवालय और नई दिल्ली मे जनसंपर्क विभाग से जुड़े अधिकारी नियमित रूप से सांसदों के संपर्क मे रहेंगे। आवश्यकता पड़ने पर सांसदगण इनसे कोई भी जानकारी ले सकेंगे। इस अवसर पर रमन सिंह ने राज्य से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों की पुस्तिका भी सांसदों को वितरित की, जिसे तैयार करने की प्रक्रिया राज्य शासन ने लोक सभा चुनाव के तुरंत बाद शुरू कर दी थी।
जिस तरह से नरेगा योजना के अंतर्गत प्रदेश तथा देश भर के ग़रीब मजदूरों को न्यूनतम 100 दिन रोज़गार के अवसर मिले उसे ध्यान मे रखते हुए रमन सिंह ने सांसदों से कहा कि अब उन्हें केंद्र से सामूहिक रूप से यह मांग करना चाहिए कि प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों मे इस योजना के तहत ग़रीबों को कम-से-कम 150 दिन का रोज़गार उपलब्ध हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार आदिवासी विकासखंडों मे नरेगा योजना के अंतर्गत भुगतान मे आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए वैकल्पिक तरीके अपनाने, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना तथा सिंचाई योजनाओं के संबंध मे भी केंद्र सरकार के स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है।
रमन सिंह ने यह भी इंगित किया कि राज्य मे स्वास्थ्य से संबंधित विषयों, विशेषकर थैलेसीमिया, सिकलसेल और फेल्सीपरम मलेरिया जैसे रोगों पर, रिसर्च तथा डेवलपमेंट करने की बहुत आवश्यकता है और इसके लिए सांसदों को केंद्र सरकार से छत्तीसगढ़ के लिए विशेष पॅकेज की मांग करनी चाहिए। कॉंग्रेस सांसद चरणदास महंत ने भी इन बीमारियों से बचाव के लिए राज्य मे सामाजिक शिक्षा के प्रसार का काम व्यापक रूप से किए जाने पर ज़ोर दिया।
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