Wednesday, July 28, 2010

छत्तीसगढ़ में धान खरीद में बड़ा घोटाला-विपक्ष

रायपुर।

छत्तीसगढ़ विधान सभा मे धान खरीदने का मामला जोर शोर से उठा। विपक्ष ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि प्रदेश मे धान की खरीद मे अरबों रुपए का हेरफेर हुआ है परंतु सरकार को इसकी भनक तक नही है। विपक्ष ने आरोप लगाया गया कि इस घोटाले मे सत्ता पक्ष के शीर्षस्थ लोग शामिल हैं जिसकी वजह से सरकार घोटाले की सीबीआई जांच कराने से कतरा रही है। इसके जवाब मे खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहिले ने विपक्ष के सभी आरोप खारिज कर दिए। विधान सभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने इस मुद्दे पर विपक्ष के लाए गये स्थगन प्रस्ताव की सूचना के आधार पर चर्चा कराई परंतु दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के पश्चात इस प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया। इस पर खिन्न विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया।
विपक्ष ने इस मामले पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की इजाज़त मांगी। यह चर्चा करीब तीन घंटे चली जिसमे विपक्षी सदस्यों ने सरकार से जवाब मांगा कि धान खरीद मे इतना बड़ा घोटाला कैसे हुआ। अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने तथ्यों के मद्देनजर मोहम्मद अकबर की सूचना मंजूर की। अकबर की सूचना मे कहा गया वर्ष 2008-09 मे प्रदेश मे खरीफ की फसल अच्छी नही हुई। राजस्व विभाग के अनावारी के आंकड़ों के मुताबिक 18 मे कम से कम दस जिलों मे सूखे की मार पड़ने का अंदेशा था परंतु इसके बावजूद राज्य सरकार ने रेकॉर्ड तोड़ धान की खरीद की। ख़ासकर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों मे धान की बंपर खरीदी की गई जबकि वहां के किसानों के खेत मे धान का फसल संतोषजनक नही था। वास्तविकता यह है कि सरकार के उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों और सत्ता पक्ष के पदाधिकारियों के लिऐ षड्यंत्रपूर्वक दस्तावेज़ों की कूटरचना कर अरबों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि किसानों के फर्जी नाम दिखा कर उन्हें लाखों रुपए का भुगतान दिखाया गया है। उदाहरण के तौर पर किसान का नाम बाज़ार व पिता का नाम शनिवार दर्शा कर धान खरीदा गया है। आश्चर्य की बात है कि कुछ किसानों के पास तो ढाई डिसमिल या उससे कम ज़मीन है परंतु उनसे हज़ारों क्विंटल धान खरीद लिया गया। कॉंग्रेस विधायक नन्दकुमार पटेल ने कहा कि धान खरीदी मे मृत व्यक्तियों के नाम भी दर्ज हैं और उन्हें सरकार ने बोनस राशि का भी भुगतान किया है। उन्होने कहा कि जिन वाहनों से सैकड़ों टन धान का परिवहन दर्शाया गया है या तो वे दोपहिया वाहन हैं अथवा परिवहन विभाग ने उन वाहनो के दर्शाए गये रजिस्ट्रेशन नंबर जारी ही नही किए गए हैं।
नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे ने कहा कि धान खरीदी मे 15 लाख टन से ज़्यादा का घोटाला हुआ है और करोड़ों रुपए की हेरफेर की गई है। वहीं कॉंग्रेस के वरिष्ठ विधायक अजीत जोगी ने मांगकरते हुए कहा कि धान खरीदी घोटाला काफ़ी बड़े पैमाने पर हुआ है और इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए।
जवाब मे खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहिले ने विपक्ष के सभी आरोपों को एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि धान खरीदी मे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और बोगस खरीदी के आरोप सही नही हैं। उन्होने आंकड़ों के ज़रिए बताया कि प्रदेश मे 37,59,439 मीट्रिक टन धान खरीदा गया जिसमे से 8.58 लाख मीट्रिक टन धान भारतीय खाद्य निगम को दिया गया और शेष धान की कस्टम मिलिंग कराई गई है।कस्टम मिलिंग का पूरा चावल राज्य आपूर्ति निगम और भारतीय खाद्य निगम में प्राप्त किया गया है। अतः बोगस खरीदी का प्रश्न ही नही उठता। किसी भी जिले मे बोगस चेक जारी करने का एक भी मामला प्रकाश मे नही आया है। राज्य सरकार dhकी अच्छी बोनस राशि घोषणा करने की वजह से किसानों ने स्वयं की खपत के लिए कम धान रखते हुए अधिकाधिक मात्रा मे धान विक्रय किया।
मोहिले ने कहा कि बस्तर क्षेत्र मे छोटे छोटे किसान धान की उपज बिना ऋण पुस्तिका व बिना बैंक खातों के लाते हैं। इन्हें अपनी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार ने चिल्हर खरीद की सुविधा उपलब्ध कराई ताकि उन्हें अपनी उपज का वाजिब मूल्य प्राप्त हो सके। इसी वजह से सोसाइटी के कंप्यूटर मे किसानों के नाम की जगह 'बाज़ार दिवस चिल्हर धान खरीदी' अथवा 'बाज़ार दिवस' या फिर शुक्रवार, शनिवार जैसे बाज़ार का दिन हो, लिखा जाता है। यह चर्चा तीन घंटे तक जारी रही परंतु अंत मे दोनों पक्षों के बयान के बाद जब अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव की सूचना को अग्राह्य करने की घोषणा तो विपक्ष ने सदन का बहिर्गमन कर दिया।

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