रायपुर।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने फिर दोहराया है कि यदि केंद्र सरकार कोयला और लौह अयस्क जैसे बहुमूल्य खनिजों की रायल्टी मूल्य आधारित कर देती है तो छत्तीसगढ़ जैसे खनिज बहुल राज्य को खनिज के उत्खनन से मिलने वाले राजस्व मे भारी इज़ाफ़ा हो सकता है। राज्य ने गत वित्तीय वर्ष 2008-09 मे एक हज़ार 237 करोड़ 29 लाख रुपए रिकार्ड खनिज राजस्व प्राप्त किया है जो कि वर्ष 2007-08 के मुक़ाबले लगभग 209 करोड़ रुपए ज़्यादा है। देश के गिने चुने खनिज बहुल प्रदेशों मे छत्तीसगढ़ मे कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर, आदि खनिज भारी मात्रा मे पाए जाते हैं, इन्हीं खनिजों की बदौलत राज्य सरकार के खनिज राजस्व मे लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले पाँच वर्षों मे छत्तीसगढ़ को इन मुख्य खनिजों से चार हज़ार 223 करोड़ 20 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है।
बिजली संयंत्रों के लिए उर्जा के प्रमुख स्त्रोत कोयले की खदानें छत्तीसगढ़ मे रायगढ़, कोरबा, सरगुजा और कोरिया जिलों मे हैं एवं इनका संचालन केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम दक्षिण पूर्वी कोयला प्रक्षेत्र लिमिटेड (एस.इ.सी.एल.) कर रहा है। इसी तरह इस्पात संयंत्रों के लिए कच्चे माल के रूप मे उपयोगी लौह अयस्क का उत्पादन दक्षिण बस्तर जिले मे केंद्रीय उपक्रम राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एन.एम.डी.सी.) बैलाडीला की पहाड़ियों की खदानों से कर रहा है, जबकि दुर्ग जिले के दल्लीराजहरा मे लौह अयस्क खदानें भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा की जा रही है।
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