Wednesday, July 28, 2010

सरकार नक्सलियों के सफ़ाए के लिए प्रतिबद्ध: गृह मंत्री

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के बड़े हिस्से से नक्सलवाद की जड़ों को समाप्त करने मे सफल हुई है। एक समय नक्सलियों का गढ़ समझे जाने वाले क्षेत्रों - सरगुजा, कोरिया, जसपुर, कोरबा व बलरामपुर पुलिस जिले मे वर्तमान मे नक्सलियों का पूर्ण रूप से सफ़ाया हो गया है। विधान सभा मे यह बयान था गृह मंत्री ननकीराम कंवर का जब विपक्ष ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह प्रदेश मे बढ़ते हुए नक्सलवाद को रोक पाने मे असमर्थ रही है। कंवर ने कहा कि विपक्ष के सभी आरोप बेबुनियाद हैं और राज्य सरकार नक्सलियों से निपटने के लिए प्रभावी उपाए कर रही है।
विधान सभा मे नक्सल मुद्दा फिर गरमाया जब नियम 139 विपक्ष ने सत्ता पक्ष के उपर इस मसले पर आरोपों की झड़ी लगा दी। करीब छह घंटे चले इस चर्चा की शुरुआत कॉंग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने की। उन्होने कहा कि इस मुद्दे पर गहन चर्चा इसलिए भी ज़रूरी थी क्योंकि यह समस्या लंबे समय से चली आ रही है और यह न केवल छत्तीसगढ़ की बल्कि पूरे देश की समस्या बन गई है। जोगी कहते हैं कि प्रदेश मे नक्सल हिंसा की वजह से लोगों का इतना खून बह चुका है और इतनी हत्याएँ हो गईं हैं कि बहुतों की तो संवेदनशीलता समाप्त हो गई है। उन्होने कहा कि 12 जुलाई, 2009 मे हुए नक्सल वारदात ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। जोगी ने भाजपा सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि इनके पिछले छह वर्षों के राज मे नक्सल नारदातों मे भारी वृद्धि हुई है।
अगर आँकड़ों पर गौर किया जाए तो प्रदेश मे कॉंग्रेस के तीन साल कार्यकाल के दौरान सन 2001 से 2003 के बीच नक्सल हिंसा मे 736 मौतें हुईं। वहीं भाजपा के शासनकाल मे सन 2004 से 2006 के मध्य तीन सालों मे 1824 लोग नक्सलियों का शिकार बने। इसी तरह सन 206 के बाद पिछले ढाई सालों मे मृतकों आँकड़ा 1651 पंहुँच चुका है। उन्होने केंद्रीय गृह मंत्रालय के हाल ही के एक रिपोर्ट का भी उल्लेख किया जिसमे कहा गया है कि नक्सलवाद के मामले मे वर्तमान मे छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों की तुलना मे सबसे अग्रणी राज्य बन गया है। जोगी कहते हैं कि आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत है नक्सलियों से निपटने के लिए तैनात सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ने की जिसमे राज्य सरकार पूर्ण रूप से नाकाम रही है। जोगी ने कहा कि सरकार ने डॉक्टर बिनायक सेन जैसे विद्वानों को भी ज़बरदस्ती जेल मे बंद कर दिया था हालाँकि उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिल गयी।
इसके जवाब मे कंवर ने कहा कि जवानों ने प्रजातंत्र की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी दी है। उन्होने कहा कि विपक्ष नक्सल मुद्दे को ज़बरदस्ती आर्थिक व सामाजिक समस्या बता रही जबकि यह आतंकवाद का रूप अख्तियार कर चुका है। उन्होने जोगी के डॉक्टर बिनायक सेन के पक्ष मे दिए गए बयान पर पूछा कि सेन विद्वान हो सकते है परंतु क्या विद्वान अपराधी नही हो सकते? कंवर ने प्रश्न किया कि अगर कोई नक्सलियों का पक्ष लेगा तो पुलिस का मनोबल कैसे उँचा रह सकता है? उन्होने कहा कि नक्सलियों का समर्थन करने वाले तो स्वयं ही देश के साथ विश्वासघात कर रहे हैं और अगर ऐसे लोगों को जेल मे बंद कर दिया जाता है तो क्या ग़लत है। कंवर ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष के आरोपों से तो यह प्रतीत होता है जैसे वह चाहता है कि सरकार नक्सलियों के सामने घुटने टेक दे।
गृह मंत्री ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि सरकार जब नक्सलियों को खुलकर सामने की लड़ाई न लड़ने पर कायर कहती है तो विपक्ष उन्हें प्रशस्ती-पत्र देता है। कंवर कहते हैं विपक्ष को नक्सल मुद्दे पर राजनीति करने मे कोई लाभ नही मिलेगा। सरकार नक्सलियों के ख़ात्मे के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है और विपक्ष को इसमे सहयोग करना चाहिए। एक अन्य आरोप के जवाब मे कंवर ने कहा कि सरकार हमेशा से ही नक्सल प्रभावित क्षेत्रों मे तैनात सुरक्षा बलों के रोटेशन पॉलिसी के पक्ष मे रही है और उन क्षेत्रों मे जिन पुलिस अफसरों और जवानों की पोस्टिंग हुई है उन्हें जाना ही पड़ेगा तथा जिनकी दोबारा पोस्टिंग हुई है उसे रद्द किया जाएगा।

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