रायपुर
छत्तीसगढ़ के जनजाति आदिवासी नेता और भाजपा के राज्यसभा सांसद नंद कुमार साय को उनके नई दिल्ली निवास से बेदखल कर दिया गया है। सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारी-कर्मचारियों के एक अमले ने गुरूवार को उनकी गैरमौजूदगी मे उनके घर का सारा सामान बाहर कर दिया। इस मामले से आहत साय ने शुक्रवार की रात अपने साजो-सामान सहित सड़क पर सोकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। इसी बीच सीपीडब्ल्यूडी के इस ग़ैरज़िम्मेदाराना रवैये पर भाजपा ने भी कड़ी आपत्ति दर्ज की और मनमोहन सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह आदिवासी विरोधी है।
उधर जब केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को जब इस बात की भनक लगी तब उसके अफ़सर तुरंत हरकत मे आ गये और आनन-फानन मे यह वक्तव्य जारी किया गया कि साय के घर कार्रवाई अनजाने मे की गई है और संबंधित विभाग इस बात से अनभिज्ञ था कि साय अब राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य हैं। मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी कि समस्त कार्रवाई लोकसभा समिति के निर्देशों के अनुसार ही की गई है। जब सीपीडब्ल्यूडी का अमला राज्यसभा सांसद को बिना इत्तला किए उनके घर का ताला तोड़कर उनके सभी सामान को एक-एक करके बाहर फेंक रहा था तब वे छत्तीसगढ़ मे थे। परंतु जैसे ही उन्हें अपने सरकारी निवास मे सीपीडब्ल्यूडी की बेदखली की कार्रवाई के बारे मे खबर मिली, तो वे तुरंत शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंच गए।
उल्लेखनीय है कि नंद कुमार साय को नई दिल्ली के साउथ एवेन्यू इलाक़े मे 176 नंबर का फ्लैट सन् 2004 के आम चुनाव मे लोकसभा के सदस्य निर्वाचित होने के नाते आबंटित किया गया था। इस फ्लैट मे रहते हुए साय को पांच वर्ष से भी अधिक हो गया है। अभी कुछ ही समय पूर्व साय राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। उन्होनें यह इच्छा जरूर जाहिर की थी कि अब राज्यसभा सदस्य होने के नाते उन्हें यही फ्लैट दोबारा आवंटित कर दिया जाए। इस संबंध मे उन्हें राज्यसभा सचिवालय के उपनिदेशक एसी मल्लिक का पत्र भी प्राप्त हुआ जिसमे यह साफ-साफ लिखा गया था कि साउथ एवेन्यू इलाक़े का 176 नंबर का फ्लैट साय के नाम 3 अगस्त, 2009 से नियमित कर दिया गया है।
इस घटनाक्रम से राज्यसभा सदस्य नंद कुमार साय गहरे सदमे मे हैं। उन्होनें चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह लापरवाही की हद है और जब लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये जनप्रतिनिधियों के साथ केंद्र सरकार ऐसा बर्ताव कर रही है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी का क्या होगा। साय ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके विरुद्ध यह कार्रवाई इसीलिए की गई है क्योंकि वे अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लोगों के प्रति दुर्भावना से ग्रस्त है।
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सीपीडब्ल्यूडी ने अनुसूचित जाति वर्ग के रामदास अठावले को भी उनके सरकारी निवास से इसी तरह बेरहमी से बेदखल कर दिया। अठावले आरपीआई के अध्यक्ष और पूर्व सांसद हैं। वे इस बार के आम चुनाव मे महाराष्ट्र के शिर्डी लोकसभा क्षेत्र से हार गए थे। कार्रवाई करने वाले अफसरों का कहना है कि कार्यकाल समाप्त होने के बाद अठावले को कई बार सरकारी निवास खाली करने संबंधित नोटिस भेजा गया था परंतु उन्होने इस बात की अनदेखी कर दी। इधर साय का कहना है कि अठावले को भी जानबूझकर बेइज्जत किया गया है, वे भी अनुसूचित जाति के हैं। साय का मानना है क़ि अगर सरकार को अठावले से उनका सरकारी निवास वापस ही लेना था तो उन्हें पहले से इस बात की सूचना देनी थी और ससम्मान घर खाली करने को कहना था।
उधर नई दिल्ली मे साय ने इस पूरे मामले को अपनी प्रतिष्ठा के साथ जोड़ते हुए केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इधर प्रदेश मे भाजपाइयों ने उनके समर्थन मे आंदोलन तेज़ कर दिया है। प्रदेश भाजपा के युवा ब्रिगेड कहना है कि यदि इस मामले मे केंद्र सरकार ने साय से माफी नही मांगी तो वे भविष्य मे उग्र आंदोलन करेंगे।
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