Wednesday, July 28, 2010

पीएमटी उतीर्ण छात्र का मामला विधान सभा में उठा

रायपुर।

विपक्ष ने पीएमटी (प्री मेडिकल टेस्ट) मे शामिल हुए बिना 110वां स्थान हासिल करने वाले सुनील बरिहा के मामले को विधान सभा मे उछालते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि जिस महत्वपूर्ण परीक्षा के माध्यम से छात्र डॉक्टर बनने का सफ़र तय करते है उसे उत्तीर्ण कराने के लिए प्रदेश मे बहुत बड़ा गिरोह सक्रिय है और उसका नेटवर्क दूर-दूर तक फैला हुआ है जिसकी वजह से धीरे-धीरे छात्रों का व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) से विश्वास उठता जा रहा है। इसके जवाब मे तकनीकी शिक्षा मंत्री हेमचंद यादव ने कहा कि विपक्ष का आरोप पूर्णतया ग़लत है क्योंकि सुनील बरिहा नामक छात्र पीएमटी परीक्षा मे बाक़ायदा शामिल हुआ था।
विधान सभा सत्र के अंतिम दिन डा हरिदास भारद्वाज, डा शक्राजीत नायक और नन्दकुमार पटेल ने अपने ध्यानकर्षण सूचना मे कहा कि महासमुंद जिले के गॉड़बहाल निवासी सुनील बरिहा इस वर्ष पीएमटी परीक्षा के लिए आवेदन दिया गया था। व्यापम के प्रवेश पत्र के अनुसार उसे महासमुंद के मचेवा क्षेत्र के शासकीय वल्लभाचार्य महाविद्यालय परीक्षा केंद्र से पीएमटी परीक्षा मे शामिल होना था। परंतु प्रवेश पत्र नही मिलने के कारण वह परीक्षा मे सम्मिलित नही हो सका। इसके बावजूद व्यापम ने सुनील को परीक्षा मे न केवल उत्तीर्ण घोषित करते हुए 110वां रेंक दिया बल्कि अनुसूचित जनजाति (अजजा) वर्ग मे दूसरा स्थान भी प्रदान किया और 21 जुलाई की काउन्सलिंग मे शामिल होने के लिए उसे पत्र भी भेजा।
काउंसलिंग के लिए पत्र पाने के बाद सुनील ने परीक्षा मे सम्मिलित नही होने का शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया जिसके बाद व्यापम अध्यक्ष ने इस मामले की जांच के लिए 22 जुलाई को रायपुर तथा महासमुंद के पुलिस अधीक्षक के पास पत्र प्रेषित कर रिपोर्ट दर्ज करायी गई। घटना उजागर होने के बाद से अभ्यर्थी के पूरे परिवार को गायब कर दिया गया है। विपक्ष ने कहा कि इस बार के पीएमटी परीक्षा मे बहुत गड़बड़ी हुई है जिसके तहत ग़लत प्रश्न पूछे गए और उसका निराकरण परीक्षार्थीयों को बोनस अंक देकर किया गया और इसी वजह से न केवल यह परीक्षा बल्कि इसके परिणाम भी संदेह के घेरे मे हैं।
विपक्षी सदस्यों ने कहा कि प्रदेश मे विभिन्न विभागों में नौकरियों के लिए व्यापम परीक्षा लेती है और उसके परिणाम के आधार पर चयन किया जाता है। इस घटना के बाद व्यापम की परीक्षा और उसके परिणामों की विश्वसनीयता नही रह जाती है। इसी वजह से प्रदेश के बेरोज़गार, छात्र और आम जनता मे व्यापम मे व्याप्त अनियमितता के प्रति रोष और आक्रोश है।
इस आरोप को नकारते हुए तकनीकी शिक्षा मंत्री हेमचंद यादव ने दावा किया कि सुनील बरिहा परीक्षा मे शामिल हुआ था और उसे व्यापम ने प्रवेश पत्र भी जारी किया था जो तभी संभव होता है जब कोई आवेदक और उसके पिता ओएमआर आवेदन पत्र पर अपने हस्ताक्षर करते हैं। यादव ने बताया कि सुनील 8 अप्रैल को पीएमटी परीक्षा की दोनो पाली मे उपस्थित था जिसका सबूत, परीक्षा कक्ष मे उसके द्वारा अपने रंगीन फोटोयुक्त पत्रक मे किया गया हस्ताक्षर और लगाया गया अंगूठे का निशान है। उन्होने कहा कि प्राप्त जानकारी के अनुसार काउन्सलिंग की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और अभ्यर्थी सुनील बरिहा ने उसमे भाग नही लिया। यादव ने यह भी बताया कि सुनील बरिहा के उत्तर शीट के आधार पर ही व्यापम ने उसका परीक्षा परिणाम घोषित किया जिसमे किसी प्रकार की त्रुटि की संभावना नही है।
हालांकि तकनीकी शिक्षा मंत्री ने माना कि इस मामले मे अपना संदेह जाहिर करते हुए जब छत्तीसगढ़ प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी (चिकित्सा प्रकोष्ठ) ने शिकायत दर्ज की तब प्रकरण को पुलिस को आवश्यक कार्यवाही के लिए सौंप दिया गया है और इसीलिए इस पर फिलहाल कोई भी टिप्पणी किया जाना उचित नही होगा। यादव ने कहा कि व्यापम ने सदैव ही सभी परीक्षाओं के संचालन तथा उनके परिणामों को घोषणाओं मे पारदर्शिता बरती है जिसकी वजह से प्रदेश के छात्रों मे उस पर पूर्ण विश्वास है।

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