Wednesday, July 28, 2010

छत्तीसगढ़ मे पेट्रोल-डीज़ल के बढ़े दाम से लोग गुस्साए

रायपुर।

छत्तीसगढ़ में फीलगुड के दरम्‍यान पेट्रोल और डीज़ल के दाम मे बढ़ोत्तरी से जनता के गुस्से का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया है। यहां पेट्रोल अब 98 पैसे प्रति लीटर महँगा हो गया है, उपभोक्ताओं को डीज़ल के लिए भी 81 पैसे प्रति लीटर अधिक देना होगा। राज्य मे तेल के दामों मे इज़ाफ़ा होने का कारण प्रदेश सरकार का वह फ़ैसला है जिसमें वैट की दर को तीन फीसदी बढ़ा दिया गया है। महँगाई और मंदी की मार झेल रहे उपभोक्ताओं के लिए प्रदेश सरकार का यह कदम एक सदमे से कम नही है, क्योंकि छत्तीसगढ़ की जनता ने अभी कुछ ही महीनों पहले मुख्यमंत्री रमन सिंह को भारी बहुमत से विजयी बनाते हुए फिर से भाजपा की सरकार चलाने का अवसर प्रदान किया था। उधर प्रदेश मे विपक्षी पार्टी कॉंग्रेस ने भी इस अवसर का भरपूर लाभ उठाते हुए राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि रमन सरकार शुद्ध अवसरवादी है जिसने विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव निपटते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है।
बढ़ी हुई तेल की कीमतें आम जनता को रास नहीं आ रही हैं। सभी वर्ग के लोग एक स्वर मे रोष प्रकट करते हुए कह रहे हैं कि जब केंद्र सरकार ने तेल के दाम को स्थिर रखा है तो राज्य सरकार अपनी मनमानी क्यों कर रही है? व्यापारी वर्ग का कहना है कि जिस भाजपा जनता ने विधानसभा चुनाव मे पूर्ण समर्थन दिया एवं लोकसभा चुनाव मे छत्तीसगढ़ की ग्यारह मे से दस सीटों पर विजयी बनाया है उसी के साथ राजनीति की गई है। विशेषकर ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों का मानना है कि तेल के दामों का सीधा प्रभाव दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर पड़ेगा। हालाँकि बाजार विशेषज्ञों की राय इससे भिन्न है। उनका मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम मे लगातार बढ़ोतरी हो रही है एवं देर-सबेर पेट्रोल और डीज़ल महँगा होकर रहेगा जिसके परिणामस्वरूप केंद्र व दूसरे राज्यों की सरकारों को भी जनता के कोप का भाजन बनना पड़ेगा।
परंतु छत्तीसगढ़ मे तेल के दाम बढ़ने के कारण कुछ और हैं। भाजपा सरकार प्रदेश की जनता के साथ तेल की राजनीति कर रही है जिसकी शुरुआत विधानसभा चुनाव के पहले हुई जब छत्तीसगढ़ मे वैट की दर 25 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दी गई थी। उस वक्त राज्य सरकार के इस फ़ैसले का जनता ने दिल खोल कर स्वागत किया था क्योंकि प्रदेश मे तेल के दाम गिरकर 40.75 रुपए हो गये थे, किंतु विपक्ष के कान खड़े हो गये और उसने रमन सिंह के इस कदम को विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव मे पॉपुलर वोट बटोरने का एक सटीक तरीका बताया। अंतत: हुआ भी यही। जैसे ही लोकसभा के परिणाम घोषित हुए और कॉंग्रेस के नेतृत्व मे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने केंद्र मे अपनी सरकार बनाई वैसे ही छत्तीसगढ़ मे भाजपा-शासित सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल के दाम बढ़ाने का निर्णय लेने मे देरी नही की।
कांग्रेस का आरोप है की राज्य सरकार अपने ख़ज़ाने को भरने के लिए आम आदमी की जेब मे सेंध लगा रही है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कॉंग्रेस के अध्यक्ष धनेंद्र साहू का कहना है कि राज्य सरकार को जनता की चिंता नही है इसलिए उसे इस तरह का जनविरोधी निर्णय लेने मे कोई हिचक नही हुई। साहू आश्चर्यचकित होकर कहते हैं की एक तरफ तो रमन सरकार स्वयं को किसानों का शुभचिंतक बताती है, दूसरी ओर तेल के दाम बढ़ाकर ग़रीब किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ लाद रही है। साहू का इशारा मुख्यतः उन किसानों की तरफ है जो कृषि कार्य के डीज़ल पंपों का उपयोग करते हैं। बहरहाल, रमन सरकार ने प्रदेश मे अपनी दूसरी पारी की शुरुआत ही अलोकप्रिय निर्णय से की है और आने वाले पाँच सालों मे जनता को ऐसे कितने निर्णयों से दो-चार होना पड़ेगा यह अनुमान लगाया जा सकता है।

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