रायपुर।
स्वाइन फ़्लू नाम का दैत्य अब छत्तीसगढ़ मे भी तबाही मचा रहा है और इसका पहला शिकार बना एक 18-वर्षीय युवक जिसने 13 अगस्त को राजधानी रायपुर के अंबेडकर अस्पताल मे दम तोड़ दिया। हालाँकि अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी का कहना है कि जब तक मृतक के सेंपल की जाँच रिपोर्ट नही आ जाती, यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि युवक की मृत्यु स्वाइन फ़्लू की वजह से ही हुई है। उन्होने बताया कि मृतक के सेंपल को जाँच के लिए दिल्ली स्थित नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ कम्युनीकेबल डिसिसेस भेज दिया गया है। इधर राज्य शासन ने स्वाइन फ़्लू के ख़तरे को भाँपकर प्रद्रेश मे हाइ-अलर्ट घोषित कर दिया है परंतु इसके बावजूद रेलवे स्टेशन, विमानतल तथा बस अड्डों पर बाहर से आने वालों की प्राथमिक चिकित्सकीय जाँच की कोई व्यवस्था नही की गई है। अकेले रायपुर शहर से ही पुणे जाकर पढ़ने और काम करने वालों की संख्या बहुतायत मे है और स्वाइन फ़्लू की वजह से इनमे से अधिकांश लोग धीरे-धीरे वापसी की तैयारी मे हैं।
रायपुर मे स्वाइन फ़्लू का डर कुछ इस तरह फैल गया है कि लोग एहतियात के तौर पर मास्क अथवा मुँह मे कपड़ा बाँधकर घूम रहे हैं। परंतु 13 अगस्त को नौजवान सीताराम वर्मा की स्वाइन फ़्लू की वजह से मौत की खबर से लोगों के होश उड़ गए हैं। मृतक सीताराम वर्मा रायपुर से करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित बेमेतरा का निवासी था और करीब एक महीने पहले मज़दूरी करने के लिए पुणे गया था। परंतु वह वहाँ एक सप्ताह भी नही रह पाया और बुखार और शरीर मे जबरदस्त दर्द की वजह से वह वापस आ गया। उसके परिजनों ने उसे तुरंत भिलाई स्थित जवाहरलाल नेहरू अस्पताल तथा अनुसंधान केंद्र मे भर्ती कराया लेकिन जैसे ही उसकी स्थिति बिगड़ी, उसको रायपुर के अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया परंतु वहाँ भी डॉक्टरों की टीम उसे बचाने मे नाकामयाब रही।
स्वाइन फ़्लू ने जिस तरह से देश के कई शहरों को अपने चपेट मे ले लिया है उससे यह अंदाज़ा लगाना आसान था कि छत्तीसगढ़ भी इस बुखार से ज़्यादा दिनों तक अछूता नही रह सकता। रायपुर मे इस बुखार के लक्षण तब उभरे जब साप्ताह भर पहले राजधानी निवासी तीन युवक, जो पुणे मे अध्ययनरत हैं, वापस लौटे। उनकी प्राथमिक जाँच अंबेडकर अस्पताल मे कराई गई जिसके पश्चात डॉक्टरों ने संदेह जताया कि शायद उन तीनो युवक को स्वाइन फ़्लू के लक्षण मौजूद हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए उनके सेंपलों को दिल्ली भेज दिया गया। अभी तक करीब 40 लोगों के सेंपल जाँच के लिए दिल्ली भेजे गए है। वहीं स्वाइन फ़्लू के डर से वापसी करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। अकेले रायपुर शहर मे पुणे सहित अन्य महानगरों से करीब 30 वापस आ चुके हैं।
राज्य शासन यह अच्छी तरह से जानती है कि स्वाइन फ़्लू के जीवाणु वायु से फैलते हैं परंतु अभी तक आम जनजीवन को इस बुखार के लक्षणों से सावधान करने के लिए कोई विशेष प्रयास नही किया गया है। जागरूक लोग भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों मे जाते समय मास्क तो पहन रहे हैं परंतु फिर भी बिना मास्क के घूमने वालों की संख्या कहीं ज़्यादा है जिनके लिए शासन ने आवश्यक सूचना अथवा चेतावनी चस्पा नही किया है। डॉक्टरों के अनुसार स्वाइन फ़्लू के जीवाणु वैसे तो किसी भी आयु-वर्ग के लोगों मे प्रवेश कर सकते हैं परंतु खास सावधानी स्कूलों मे बरतना आवश्यक है और यदि हो सके तो कुछ समय के लिए स्कूल तथा कालेजों को बंद कर देना ही समझदारी होगी।
प्रदेश मे अभी तक लोगों को यह भी नही पता कि स्वाइन फ़्लू के अगर थोड़े भी लक्षण उन्हें स्वयं मे दिखाई पड़ें तो वे कौन से अस्पताल मे इलाज के लिए जाएं। वैसे तो रायपुर के अंबेडकर अस्पताल मे इस बुखार से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है परंतु यह व्यवस्था प्रदेशव्यापी नही है जिसकी वजह से दूरदराज मे रहने वाले लोगों को ख़ासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर इस बुखार के रोकथाम के उपायों का भी शासन ने कोई खुलासा नही किया है। स्वाइन फ़्लू की दहशत का आलम यह है कि लोग इससे बचने के लिए भाँति-भाँति की अचानक निकल आई दवाओं का सेवन कर रहे हैं। इसमे सबसे ज़्यादा चाँदी काट रहे हैं होम्योपैथी के डॉक्टर जो पाँच रुपए की दवा को पच्चीस रुपए मे लोगों को यह कहकर दे रहे हैं कि इसकी पाँच दिनों तक तीन खुराक प्रतिदिन लेने पर शरीर मे स्वाइन फ़्लू के जीवाणुओं का असर नही होता।
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