Wednesday, July 28, 2010

विपक्ष नक्सल मुद्दे पर गंभीर नही है : संसदीय कार्यमंत्री

रायपुर। संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि जिस तरह विपक्ष सदन मे हंगामा कर रहा है उससे लगता नही कि वह नक्सल समस्या को गंभीरता से ले रहा है। वे कहते हैं कि कॉंग्रेस सदस्य सदन की कार्रवाई मे बेवजह व्यवधान डाल रहे हैं जबकि सरकार उनसे चर्चा करने को तैयार है। इस संबंध मे अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ने बहुत समझाने का प्रयत्न किया परंतु कॉंग्रेसजन अपने रुख़ से टस से मस नही हुए। अग्रवाल ने यह बातें विधान सभा सत्र की कार्रवाई 23 जुलाई तक स्थगित करने के बाद सदन से बाहर आकर पत्रकारों से कहीं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष हंगामा करके चर्चा से निजात पाना चाहता है और सरकार से इस्तीफ़े की मांग करके नक्सल समस्या जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति कर रहा है। उनका कहना है कि हाल ही के नक्सल वारदात ने प्रदेशवासियों को व्यथित कर दिया है और ऐसी परिस्थितियों मे सभी दलों को सदैव एकजुता का परिचय देना चाहिए। अग्रवाल कहते हैं कि विधान सभा सत्र मे विधायकगण विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इकठ्ठा होते हैं न कि हंगामा करने के लिए। उनका कहना है कि सदन की कार्रवाई मे व्यवधान का मतलब है प्रदेश की जनता के पैसों का अपव्यय और विपक्ष को इस बात का ज़रा भी एहसास नही है।
संसदीय कार्यमंत्री कहते हैं कि कॉंग्रेस ने जो रवैया अपनाया है वह छत्तीसगढ़ के हित मे तो बिल्कुल भी नही है। स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम ने यह माना कि केंद्र सरकार नक्सलियों की ताक़त को कम आंक रही थी और भविष्य मे इन आतंकियों से एकजुट होकर पुरज़ोर तरीके से लोहा लेना पड़ेगा, फिर ऐसे मे विपक्ष सरकार के इस्तीफ़े का टोटा लेकर क्यों अड़ा हुआ है। यह समय है नक्सलियों से लड़ने वाले जवानों की हौसला अफजाई करने का और विपक्ष को इस वक्त समझदारी का परिचय देना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे ने सदन के बाहर दोहराया कि विपक्ष जानना चाहता है कि सरकार मदनवाडा के नक्सल हादसे के बाद इतने दिनों तक खामोश क्यों बैठी थी और मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर स्वयं ही विधान सभा सत्र के पहले दिन कोई वक्तव्य क्यों नही दिया। उधर कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत जोगी का कहना है कॉंग्रेस ने संकल्प किया है कि वह मुख्यमंत्री से इस्तीफ़ा लेकर रहेगी। हालांकि जोगी ने सत्ता पक्ष के इस बात को खारिज कर दिया कि कॉंग्रेसी बंटे हुए हैं परंतु सदन के बाहर जिस तरह से वे स्वयं अलग से पत्रकारों को लगातार दो दिनों से बयान दे रहे हैं उससे लगता है कि वे दल मे अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं।

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