Wednesday, July 28, 2010

नक्सली हिंसा 'राष्ट्रीय आपदा' मानी जाए : रमन सिंह

रायपुर।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने केंद्र सरकार से मांग की है कि नक्सल हिंसा की व्यापकता को ध्यान मे रखते हुए उसे राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी मे रखा जाए और इससे प्रभावित लोगों को राष्ट्रीय आपदा कोष से मदद मिलनी चाहिए। डॉ रमन ने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता मे आंतरिक सुरक्षा पर हुए मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन मे कहा कि नक्सलवाद के ख़ात्मे के लिए मुख्यतः तीन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है-नक्सलियों के विरुद्ध सुरक्षा बलों की सीधी कार्रवाई, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों मे सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी संरचना का विकास और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नक्सली दुष्प्रचार का सामना। डॉ रमन ने कहा कि यह लड़ाई लोकतंत्र को बचाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सम्मेलन मे डॉ रमन ने कहा कि नक्सलवाद और आतंकवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस समस्या से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार लंबे समय से केंद्र और अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों के साथ मिलकर साझा रणनीति तैयार करने पर ज़ोर दे रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को यह जानकारी दी कि राज्य सरकार ने कमांडो बटालियन के गठन का भी निर्णय लिया है और राजधानी रायपुर सहित अन्य जिलों मे एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) का गठन किया गया है। राज्य मे एटीएस का गठन 26 नवंबर 2008 मे मुंबई मे हुए आतंकी हमलों के पश्चात किया गया। सूचनाओं के आदान प्रदान और विश्लेषण के लिए एंटी टेररिस्ट कंट्रोल रूम और एनालिसिस ग्रुप की भी स्थापना की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ मे काउंटर टेररिज़म एंड वारफेयर कालेज की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त निपुण कमांडो को स्पेशल एडवांस ट्रेनिंग भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों के वर्तमान प्रभाव क्षेत्रों को समाप्त करने और नए क्षेत्रों मे उनके प्रवेश को रोकने के लिए राज्य के पास वर्तमान मे संसाधनों और आधुनिक तकनीक की कमी है जिसे केंद्र सरकार आसानी से उपलब्ध करा सकती है।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को देश के सभी नागरिकों के लिए विशेष पहचान पत्र जारी करने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे आंतरिक सुरक्षा के अन्य उपायों के साथ-साथ बांग्लादेशियों के घुसपैठ पर भी रोक लगेगी। उन्होने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे पुलिस के ढांचे और उनके प्रशिक्षण सुविधाओं मे आमूलचूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है। पुलिस का गठन सामान्य क़ानून और व्यवस्था की चुनौतियों के मद्देनजर किया गया था लेकिन आतंकवाद और नक्सलवाद की हिंसक गतिविधियों से निपटने के लिए सामान्य पुलिस से काम नही चल सकता बल्कि इसके लिए गुरिल्ला वार और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल मे दक्ष पुलिस बल की आवश्कता है। नक्सलवाद पर डॉ रमन ने कहा कि यह किसी विचारधारा से प्रेरित नही है बल्कि अपराधी तत्वों का हिंसा के माध्यम से देश के सुदूर वन क्षेत्रों पर धन वसूली के लिए कब्जा करने का अभियान है। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद अब आतंकवाद का पर्याय बन चुका है और इससे प्रभावित लोग अब अपना घर छोड़कर विस्थापितों की तरह रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। डॉ रमन ने कहा कि उनके अनुभव के अनुसार जब तक नक्सली उत्पात और विध्वंस पर अंकुश नही लगता, तब तक सरकार के किए गए सभी विकास कार्य बीकर ही साबित होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि नक्सली ग़रीबी उन्मूलन, रोज़गार परक कार्यक्रम और सार्वजनिक वितरण प्रणाली नही चाहते कि जिससे आदिवासी क्षेत्रों का सामाजिक और आर्थिक विकास हो बल्कि वे तो निरीह लोगों को हमेशा के लिए अपना गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद राज्य सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों मे सामाजिक, आर्थिक और आधारभूत विकास कार्यक्रमों को अंजाम देने के लिए विशेष रणनीति बनाई है जिसके फलस्वरूप स्थानीय पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने धुर नक्सली क्षेत्र मे 22 किलोमीटर लंबी कॉंक्रीट सड़क बनाई है। इस दौरान नक्सल हमलों मे 12 जवान शहीद हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि बार्डर रोड आर्गनाईजेशन (बीआरओ) जैसे संगठन को भी राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 16 के 72 किलोमीटर हिस्से को बनाने मे आठ साल लगे थे। डॉ रमन ने कहा कि राज्य सरकार को सड़क, पुल-पुलिया आदि निर्माण कार्यों के लिए भी पुलिस बल उपलब्ध करना होगा क्योंकि रणनीति मे यह सकारात्मक परिवर्तन वर्तमान परिस्थितियों मे आवश्यक हो गया है।
डॉ रमन ने नक्सलियों के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय प्रचार प्रसार पर भी चिंता जाहिर की और महसूस किया कि इससे निपटने के लिए केंद्रीय स्तर पर अचूक फ़ॉर्मूला बनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि नक्सलियों के क्रूरतम हिंसा के शिकार वनवासियों के प्रति देश मे वैसी संवेदना नही उपजती जसी अन्य घटनाओं के दौरान होती है। इसके विपरीत जब नक्सलियों पर अंकुश लगाने की बात आती है तो देश से ही नही बल्कि विदेशों से भी कुछ लोग आकर छत्तीसगढ़ मे प्रदर्शन करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि इस दुष्प्रचार से मुकाबला करने के लिए ऐसी कारगर रणनीति बनाना आवश्यक है जो न तो लोकतंत्र की राह मे और न ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मे किसी तरह की बाधा बने। इस महत्वपूर्ण बैठक मे राज्य के गृह मंत्री ननकिराम कंवर, मुख्य सचिव पी जॉय उम्मेन, पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन, प्रमुख सचिव-गृह विभाग एनके असवाल और प्रमुख सचिव–मुख्यमंत्री एन बैजेंद्र कुमार भी उपस्थित थे।

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