Wednesday, July 28, 2010

छत्तीसगढ़ में ग़रीबों को एक रुपए किलो चावल

रायपुर।

छत्तीसगढ़ में ग़रीब तबके के लोगों को मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना की वजह से चावल केवल एक रुपया प्रति किलो की दर से प्राप्त होगा। ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है। प्रदेश मे 'चाऊंर वाले बाबा' नाम से मशहूर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने विधान सभा चुनाव के दौरान ही यह इंगित कर दिया था की यदि भाजपा राज्य मे दोबारा जीतकर आएगी तो वे इस योजना को अवश्य लागू करेंगे। इस योजना के शुभारंभ के अवसर पर प्रदेश भर मे ‘चावल उत्सव’ मनाया गया जिसके तहत सत्ता पक्ष के विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों के ग़रीब परिवारों को प्रतीक स्वरूप अपने हाथों से चावल वितरित किए। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सरगुजा जिले मे इस योजना को प्रारंभ किया।
अभी तक प्रदेश मे ग़रीबी स्तर पर जीवनयापन करने वाले लोगों को तीन रुपये प्रति किलो की दर से प्रति माह 35 किलो चावल मिलता था। परंतु मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना के लागू होने के बाद अब ग़रीब परिवारों को दो रूपए की दर से तथा अत्यधिक ग़रीब लोगों को एक रूपए की दर से हर महीने 35 किलो चावल मिलेगा। इसके साथ ही इन परिवारों को सरकार ने प्रति माह दो किलो छत्तीसगढ़ अमृत नमक मुफ़्त मे देने का फ़ैसला किया है। इस योजना का लाभ प्रदेश भर के 37 लाख से अधिक परिवारो को मिलेगा।
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह कहते हैं कि राज्य सरकार का प्रथम लक्ष्य है भूख, कुपोषण और पलायन की समस्याओं से निजात पाना जो तभी संभव हो सकता है जब राज्य मे ग़रीब तबके के लोग भूखे न सोएं, काम की तलाश मे दूसरे राज्यों मे मारे-मारे न घूमें और उनके बच्चे कुपोषण का शिकार न बनें। मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं कि छत्तीसगढ़ मे कम दर पर चावल वितरित करने की योजना इतनी सफल हुई है कि केंद्र सरकार भी इसी तर्ज पर तीन रुपये प्रति किलो की दर से चावल योजना लागू कर रही है। परंतु उन्होने जनता को इस बात से भी आगाह किया कि यह योजना तभी सफल हो सकती है जब लोग अपने क्षेत्र के राशन दुकानों पर कड़ी निगरानी रखेंगे और यदि कोई व्यक्ति इस योजना का अनुचित लाभ उठाने का प्रयास करे तो उसके खिलाफ तुरंत संबंधित थाने मे रिपोर्ट दर्ज कराएंगे।
रमन सरकार के इस लोकप्रिय फ़ैसले से प्रदेश के व्यापारी तथा उद्योगपति हैरान हैं और उनका कहना है इससे राज्य मे श्रमिकों की संख्या मे भारी गिरावट होने की संभावना है। वजह साफ है कि ज़्यादातर श्रमिक वर्ग के लोग महत्वाकांक्षी नही होते तथा वे उतना ही काम करते हैं जिससे उनके परिवार के लोगों का भरण-पोषण आसानी से हो सके। उद्योगपति कहते हैं कि सरकार की इस लोक-लुभावनी योजना के लागू होने से श्रमिक वर्ग प्रति माह शायद उतने घंटे अथवा दिवस काम नही करेंगे जितना वे पहले करते थे और इसका सीधा असर प्रदेश के उद्योगों पर एवं उन व्यापारिक संस्थानों पर पड़ेगा जिनमे मजदूर वर्ग के कामगारों की सर्वाधिक आवश्यकता होती है।
रमन सिंह भी समय पर महत्वपूर्ण निर्णय लेना जानते हैं। इस योजना को प्रारंभ करने का भी उन्होने सही अवसर चुना, जब प्रदेश मे नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनावों के लिए केवल पांच माह बचे हैं। रमन जानते हैं कि प्रदेश के लाखों ग़रीब परिवार इस योजना का तहेदिल से स्वागत करेंगे जिससे उनकी पार्टी को राज्य मे लगातार तीसरी बार जनाधार मिलने की संभावना प्रबल हो जाएगी।

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