रायपुर। विधान सभा के मानसून सत्र में शोरशराबे के बीच गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने प्रदेश मे बढ़ती नक्सल हिंसा से भयभीत नागरिकों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि राज्य सरकार उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा की प्रदेश मे सुरक्षाबल उपलब्ध साधनों का कारगर इस्तेमाल करते हुए पूरे मनोयोग और आत्मबल से इन विघटनकारी शक्तियों से एक युद्ध जैसी लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके बावजूद सरकार प्रदेश मे शांति और विकास का वातावरण कायम रखना अपना प्राथमिक कर्तव्य समझती है। परंतु कंवर के नक्सल मुद्दे पर वक्तव्य सुनकर विपक्ष के सदस्य अत्यधिक आक्रोशित हो गए और फिर से सरकार विरोधी नारे लगते हुए मुख्यमंत्री डा रमन सिंह से इस्तीफ़ा मांगने लगे। इसी बीच विधान सभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने विपक्ष से बार बार आग्रह किया कि हठ छोड़कर अपने उठाए मुद्दों पर सरकार से स्पष्ट चर्चा करें ताकि सदन की कार्रवाई निर्बाध रूप से चल सके परंतु कॉंग्रेस सदस्यों ने उनकी एक न सुनी और नारेबाज़ी करते रहे। जब विपक्ष ने चर्चा करने से इनकार कर दिया तब अध्यक्ष ने सदन की कार्रवाई 23 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्ष ने सत्र के दूसरे दिन भी सदन की कार्रवाई मे खलल डालना जारी रखा और मुख्यमंत्री डा रमन सिंह पर सीधा निशाना साधते हुए उनके इस्तीफ़े की मांग करने लगे। हालांकि रमन आज सदन मे मौजूद नही थे और एक दिवसीय दिल्ली प्रवास पर थे परंतु सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल व नगरीय प्रशासन मंत्री राजेश मूणत भारी होहल्ले के बीच सरकार के बचाव मे दलीलें देते हुए दिखाई दिए। उधर कॉंग्रेस की तरफ से नन्दकुमार पटेल, धरमजीत सिंह, अमितेश शुक्ल, शक्राजीत नायक, डॉक्टर हरिदास भारद्वाज और डा शिव कुमार डहरिया अपने सदस्यों को लगातार नारेबाज़ी के लिए प्रोत्साहित करते रहे।
सदन के शोरगुल के मध्य अध्यक्ष ने गृह मंत्री ननकीराम कंवर को जब नक्सल मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखने का मौका दिया तब कंवर ने बताया कि मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव जिले मे हुए नक्सल घटना को दुर्भाग्यपूर्ण कहा है। वे इस संबंध मे विपक्ष से स्थगन प्रस्तावों की सूचनाओं पर तत्काल चर्चा करने के लिए सत्र के पहले दिन ही सहमत हो गए थे परंतु सदन की कार्रवाई मे व्यवधान जारी रहा। कंवर ने कहा कि गत नक्सल घटना राज्य की सुरक्षा और लोकतंत्र के भविष्य से जुड़ी है जिसकी वजह से वे इस प्रकरण पर वस्तुस्थिति को सदन के सामने रख रहे हैं। इसके बाद कंवर ने सदन को राजनांदगांव के मदनवाडा मे हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ का विस्ताकरपूर्वक ब्योरा दिया।
कंवर ने कहा कि सरकार नक्सलियों के विरुद्ध चरणबद्ध ढंग से कार्रवाई कर रही है और यह प्रक्रिया नक्सली गतिविधियों के नियंत्रण के संबंध मे पूर्व मे सम्पन्न सदन की बैठक मे हुए विचार-विमर्श से निकले निष्कर्ष के आधार पर अपनाई जा रही है। उन्होने बताया कि केंद्र शासन और पड़ोसी राज्यों के सहयोग से जारी अभियान मे इस वर्ष करीब 150 मुठभेड़ों मे 57 नक्सलियों को मार गिराया गया है। साथ ही पुलिस ने जशपुर और बलरामपुर जिले मे हथियार और गोलाबारूद का भारी जखीरा बरामद किया जिसमे नौ टन बारूद, बीस हज़ार कारतूस, सात आटोमेटिक पिस्तौलें आदि शामिल हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि नक्सल समस्या देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर चुनौती है क्योंकि इसके समर्थकों का संविधान और संसदीय लोकतंत्र मे विश्वास ही नही है। उन्होंने कहा की प्रदेश मे सुरक्षाबल पूरे मनोयोग तथा आत्मबल से और उपलब्ध साधनों का कारगर इस्तेमाल करते हुए इन विघटनकारी शक्तियों से एक युद्ध जैसी लड़ाई लड़ रहे हैं और प्रशासन व शीर्ष नेतृत्व के तालमेल से इसे निर्णायक स्थिति मे ले आए हैं। कंवर ने महसूस किया कि देश की उज्ज्वल परम्परा के अनुरूप ऐसी परिस्थितियों मे दिखाई जाने वाली नागरिक एकता और परस्पर सहयोग की भावना की वर्तमान मे प्रबल आवश्यकता है।
सदन मे कंवर के बयान से कॉंग्रेस सदस्य तैश मे आ गए। नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे ने रमन सरकार का उपहास करते हुए कहा कि आश्चर्य है कि नक्सल घटना के इतने दिनों बाद सरकार को अब होश आया है। उन्होंने कहा कि सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री ने नक्सल घटना के बारे मे कुछ भी नही कहा और दूसरे दिन सदन मे स्वयं न आकर गृह मंत्री से इस मुद्दे पर बयान दिलवाया। चौबे ने कहा कि इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद सरकार मे ज़िम्मेदारी तय करनेवाला कोई दिखाई नही दे रहा है इसीलिए ऐसी सरकार को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।
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