Tuesday, April 23, 2013

बलात्कारी को मौत से पहले यातना दो

April 23, 2013

पूरा देश एक स्वर मे माँग कर रहा है कि मासूम बच्ची का यौन शोषण करने वाले बलात्कारियों को फाँसी दे देना चाहिए। माँग जायज़ है। परंतु बलात्कार जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए फाँसी की सज़ा अपर्याप्त है। पुरुष-प्रधान नपुंसक समाज मे छुपे हवसी दरिंदों के हौसलों को पस्त करने के लिए यातना का प्रावधान आवश्यक है। यातना इतनी भयंकर होनी चाहिए कि कोई पुरुष किसी भी नारी के साथ दुष्कृत्य करने की हिम्मत ना करे।

कैसी यातना? यातना ऐसी जो मैं बता रहा हूँ - भले ही यह अव्यवहारिक लगे। पकड़ मे आते ही बलात्कारी का लिंग काट दिया जाए। फिर एक सप्ताह तक उसे जेल मे पीड़ित के परिवारवालों से पिटवाया जाए। उसके बाद उसके हाथ-पैर काट दिए जाएँ। एक सप्ताह तक दिन भर उससे भीख मँगवाया जाए और रात मे पीड़ित के परिवारवालों से फिर पिटवाया जाए। चूँकि जिस तरह उसने किसी की माँ, बहन, बहू या बेटी के साथ यौन शोषण किया उसके एवज मे यह यातना कुछ भी नही है, इसलिए उस बलात्कारी को अंतत: मगरमच्छों के तालाब मे फेंक देना चाहिए।

मैं मानता हूँ कि लोकतांत्रिक ढाँचे मे इस तरह की यातना संभव नही परंतु सरकार को कोई तो रास्ता निकलना होगा जिससे बलात्कार जैसे घटनाओं मे कमी आए। हाल ही मे सरकार ने नारी उत्पीड़न रोकने के लिए क़ानून बनाया लेकिन बलात्कार जारी है। यदि अपराधी क़ानून से डरते तो अपराध क्यों होता?

फिर भी, सरकार से बहुत ज़्यादा अपेक्षा करना ठीक नही। यदि सरकार कठोर क़ानून बनाएगी तो उन सभी नेता व उनके नाते-रिश्तेदारों का क्या होगा जो यौन शोषण मे लिप्त हैं।

रही पुलिस की बात - तो वह है सरकार की पिट्ठू। वह जनता को भयमुक्त करने के बजाए भयभीत करना पसंद करती है। पुलिस वो बला है जो शिकायतकर्ता को अपराधी साबित कर देती है और अपराधी को निर्दोष। इसलिए पुलिस जैसी चीज़ पर विश्वास करना ख़तरनाक है।

तो जनता करे क्या? केवल आंदोलनों अथवा विरोध से तो बलात्कारियों को सज़ा नही मिलेगी। विरोध भी कोई आख़िर कितने दिन करेगा? इसलिए ज़रूरत है समाज को बदलने की, स्वयं के आदत को बदलने की। नारी का अपमान हर क्षण हो रहा है, उसकी रक्षा का दायित्व हर पुरुष को लेना होगा। चाहे घर हो या बाहर, नारी पर बुरी नज़र रखने वाले को सबक सिखाना ज़रूरी है। नारी को उपभोग की वस्तु समझने वाले पुत्रों को प्रश्रय देने के बजाए परिवारवालों को उसकी ऐसी मरम्मत करनी चाहिए ताकि उसकी नज़रें कभी खराब ना हों।

नारी इस धरा की धरोहर है, मानव-समाज की आन है। उसकी अस्मिता देश की अस्मिता है। अब बलात्कार बंद होना चाहिए। यह समय जागने का है। समाज जागेगा तो यौन शोषण करने वाले स्वत: ही समाप्त हो जाएँगे, नेता कांपेंगे, पुलिस संभल जाएगी।

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