September 21, 2013
कल रात्रि रायपुर मे गणेश जी की झाँकी निकाली गई। आज शहर सुनसान लग रहा है। अभी कुछ दिनों पहले ही तो लम्बोदर शहर की नुक्कड़-गलियों, चौक-चौबारों मे तने छोटे-बड़े पंडालों मे विभिन्न रूपों मे विराजे थे।
पूरा शहर गणपति उत्सव के उल्लास मे डूबा हुआ था। मन कितना भी खिन्न हो, राह से गुज़रते हुए आँखें गणेश जी की मूर्ति पर जैसे ही ठहरती थीं, ऐसा लगता था सबकुछ ठीक हो गया। आज आँखें अश्रुपूरित हैं क्योंकि गजानन की यात्रा पंडालों से आगे बढ़ गई है।
हे विघ्नहर्ता, जब तेरी मूर्ति को निहारने भर से मन शांत हो जाता है, तो प्रतिपल तेरी स्तुति से हमें कितनी स्थिरता मिलेगी। हे ज्ञान के पुंज, हमें हमारे खोखले ज्ञान के अंधकार से मुक्ति दे ताकि हम जाति व धर्म के आधार पर किसी से भेदभाव ना करें, हर नारी की रक्षा करें और देश के बच्चों का भविष्य सँवारने की हिम्मत कर सकें।
हे शिव-पार्वती पुत्र, हमें क्षमा कर कि तुझे अपने अंतस मे स्थापित करने के बजाए तेरी मूर्ति को पुनः-पुनः स्थापित कर हम तुझसे अपनी निकटता का दंभ भरते हैं। अब के हे देवताओं के राजा, हमारे मन-रूपी गृह मे प्रवेश कर और हमें अपनी भक्ति-रस मे सदा के लिए डूबने का वरदान दे..
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