वर्षा ऋतु की प्रथम बूँदों का बहुत महत्व है क्योंकि जब सूर्य की उतप्त किरणों से झुलसी हुई पृथ्वी का ये आलिंगन करतीं हैं तब आनंद से अभिभूत प्रकृति मधुर संगीत की रचना करती है. रचनाओं के इस संसार मे चलचित्रों (फिल्मों) का अपना अलग ही स्थान है. दरअसल चलचित्रों मे भावनाओं को अभिव्यक्त करने के दर्शनीय माध्यम अपनाए जाते हैं. वर्षा से संबद्ध कुछ अभिव्यक्तियों को तो चलचित्रों ने अविस्मरणीय बना दिया है. ऐसी ही एक अभिव्यक्ति गीत के माध्यम से 'परख' नामक चलचित्र मे संगीतकार सलिल चौधरी चित्रित की है. इस कर्णप्रिय गीत मे एक अनोखी स्फूर्ति है. मैं आप सभी प्रबुद्धजनों को आग्रह करता हूँ कि इस रचना से स्वयम् को कुछ क्षणों के लिए जोड़ कर अनुभूत करें.
ओ सजना, बरखा बहार आई
फ़िल्म - परख, गायिका - लता मंगेशकर, संगीत - सलिल चौधरी, गीत -शैलेन्द्र
(ओ सजना, बरखा बहार आई
रस की फुहार लाई, अँखियों मे प्यार लाई ) - २
ओ सजना
तुमको पुकारे मेरे मन का पपिहरा - २(ओ सजना, बरखा बहार आई
रस की फुहार लाई, अँखियों मे प्यार लाई ) - २
ओ सजना
मीठी मीठी अगनी में, जले मोरा जियरा
ओ सजना ...
(ऐसी रिमझिम में ओ साजन, प्यासे प्यासे मेरे नयन
तेरे ही, ख्वाब में, खो गए ) - २
सांवली सलोनी घटा, जब जब छाई - २
अँखियों में रैना गई, निन्दिया न आई
ओ सजना ...
तेरे ही, ख्वाब में, खो गए ) - २
सांवली सलोनी घटा, जब जब छाई - २
अँखियों में रैना गई, निन्दिया न आई
ओ सजना ...
enjoy the song by clicking the url below..
http://www.youtube.com/watch?v=NRAi8hjH2s4&feature=player_embedded
Explore -
http://literarycanvas.blogspot.com/
http://maharajayogi.blogspot.com/
http://literarycanvas.blogspot.com/view/timeslide
http://maharajayogi.blogspot.com/view/timeslide
No comments:
Post a Comment